भिक्षावृत्ति, नशाखोरी व अपराध में संलिप्त का डाटा तैयार करने के दिए निर्देश
देहरादून। मुख्य विकास अधिकारी, प्रभारी जिलाधिकारी नितिका खण्डेलवाल की अध्यक्षता में कलेक्टेऊट सभागार में बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत जनपद एवं विकासखण्ड स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम किए जाने तथा ऋषिकेश धार्मिक स्थल को बच्चों के अनुकूल स्थान (चाइल्ड फ्रैण्डली स्पेस) बनाये जाने के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गयी। बैठक में सम्बन्धित विभागों और बच्चों की सुरक्षा एवं कार्यों के प्रति समर्पित गैर सरकारी संगठनों, आश्रम संचालकों को और बाल कल्याण हेल्पलाईनों के प्रतिनिधियों द्वारा ऋषिकेश को पूरी तरह से बाल नशामुक्त, बाल भिक्षावृत्ति मुक्त और बाल अपराधमुक्त बनाने के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया। चर्चा की गयी कि किस तरह से नशे के आदी हो चुके, भिक्षावृत्ति में सलंग्न तथा विभिन्न अंवाछित गतिविधियों और अपराधों में लिप्त रहने वाले बच्चों की दशा में कैसे सुधार लाया जा सके तथा उनको किस तरह से समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। मुख्य विकास अधिकारी ने ऋषिकेश के बच्चों को अनुकूल बनाने तथा उनको मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सभी विभागों तथा सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं को निर्देश दिए कि सभी आपस में बेहतर समन्वय से कार्य करें तथा सबसे पहले भिक्षावृत्ति, नशाखोरी, छोटे-मोटे अपराधों में सलंग्न, अनाथ बच्चों का तथा ऋषिकेश में संभावित साइट का डाटा तैयार करें तत्पश्चात टीम भावना से अलग-अलग साइट पर विजिट करें तथा जो भी बच्चे रेस्क्यू किए जाते हैं उनको विभिन्न बाल सुरक्षा प्रावधिानों के अनुसार शिक्षा, रहन-सहन, स्क्ल्डि प्रशिक्षण, माता-पिता व बच्चों की काउन्सिलिंग इत्यादि देना सुनिश्चित करकें। उन्होंने पुलिस विभाग को ऐसे बच्चों को एक स्थानसे दूसरे स्थान पर ले जाते व रेस्क्यू करते समय सुरक्षा प्रदान करने तथा भिक्षावृत्ति व छोटा-मोटे अपराधों में सलंग्न रहने बच्चों की गोपनीय रेकी करते हुए उनके सक्रिय गिरोह तक पंहुच बनाने और बच्चों की किडनैपिंग व उससे अपराध कराने वाले गिरोह को कानूनन सजा दिलवाने के निर्दश दिए। उन्होंने रेस्क्यू किए जाने वाले बच्चों को ऋषिकेश में ही तत्काल रखने के लिए आश्रय स्थल का चयन करने तथा लम्बे समय तक रखने के लिए शेल्डर होम का चयन के निर्देश दिए। मुख्य विकास अधिकारी ने शिक्षा विभाग को रेस्क्यू किए बच्चों की शिक्षा, श्रम विभाग को श्रम बाहुल्य स्थलों व ढाबों-दुकानों में पाये जाने वाले नाबालिग बच्चों को मुक्त करने, स्वास्थ्य विभाग को समय-समय पर बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण व कोविड-19 की जांच करवाने, सेवायोजन विभाग को बच्चों के अभिभावकों को स्वरोजगार हेतु स्किल्ड प्रशिक्षण देने साथ ही बच्चों को भी कोई स्किल्ड डेवलप करने का प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने समाज कल्याण विभाग को व जिला प्राबेशन अधिकारी को रेस्क्यू किए बच्चे यदि दिव्यांग पाये जाते हैं तो उनकी पेंशन तथा आवश्यकतानुसार किसी बेहतर शेल्टर आश्रय स्थल में रखने का इंतेजाम करने के निर्देश दिए। अन्त में मुख्य विकास अधिकारी ने सभी विभागों और एजेंसियों को अपने अधीनस्थ विशेषकर फील्ड स्तर के कार्मिकों को भी बाल फे्रण्डली और बाल अनुकूलता का प्रशिक्षण देने तथा आपस में सूचनआों का बेहतर आदान-प्रदान करने के निर्देश दिए। इस दौरान बैठक में जिला प्राबेशन अधिकारी मीना बिष्ट, जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास डॉ अखिलेश मिश्रा, जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पाण्डेय, मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा पैन्यूली, जिला पंचायतीराज अधिकारी जितेन्द्र सिंह, डॉ वन्दना, उपायुक्त नगर निगम सोनिया पंत, क्षेत्राधिकारी डोईवाला जुवी मनराल सहित जिला बाल कल्याण समिति, चाइल्ड हेल्पलाईन, जे जे बोर्ड, शेल्टर होम संचालक, बचपन बचाओ आन्दोलन, गैर सरकारी संगठनों के सदस्य उपस्थित थे।