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स्कूल फीस मामले में हाईकोर्ट ने 25 मार्च तक स्थिति साफ करे सरकार

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नैनीताल। हाई कोर्ट ने कोरोना काल मे प्राइवेट स्कूलों से फीस नहीं लेने के मामले पर सुनवाई की। बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 15 जनवरी को सरकार ने एक जीओ जारी कर 10वीं व 12 वीं की कक्षाएं शुरू करने का आदेश दिया दिया था। यह भी कहा था कि उनसे फीस ले सकते है, मगर चार फरवरी को शासनादेश जारी कर कक्षा छह, आठ व नौ तथा 11 वीं कक्षाएं खोलने का आदेश दिया! पर इस जीओ में कहीं भी यह उल्लेख नही है कि इन कक्षाओं के छात्रों से फीस ले सकते है या नहीं।
कोर्ट ने फीस लेने या नहीं लेने के बारे में 25 मार्च तक सरकार से स्थिति साफ करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।उधमसिंह नगर एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूलों ने याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को एक आदेश जारी कर कहा था कि लकडाउन में प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटेंगे और उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नहीं लेंगे, जिसे प्राइवेट स्कूलों ने स्वीकार भी किया परन्तु पहली सितम्बर 2020 को सीबीएसई बोर्ड द्वारा सभी प्राइवेट स्कूलों को एक नोटिस जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि बोर्ड से संचालित स्कूल 10 हजार रुपये स्पोट्र्स फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस और 300 रुपये प्रत्येक बच्चे के रजिस्ट्रेशन पर बोर्ड को चार नवम्बर से पहले देंगे अगर चार नवम्बर तक उक्त का भुगतान नहीं किया जाता है तो 2000 हजार रुपये प्रत्येक बच्चे के हिसाब से पैनल्टी देनी होगी।
एसोसिएशन ने इसे चुनौती देते हुए कहा है कि वह ना तो किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रद कर सकते हैं, ना ही उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते हैं। ऊपर से सीबीएसई बोर्ड द्वारा यह दवाब डाला जा रहा है, इस पर रोक लगाई जाए। बोर्ड द्वारा संचालित स्कूल तो बोर्ड और राज्य के बीच मे फंस गए है अगर वे बच्चों से फीस लेते है तो उनके स्कूलों का रजिस्ट्रेशन रद होने की संभावना है। प्रबन्धन द्वारा अपने प्रार्थना पत्र में यह भी कहा है कि अब लकडाउन की स्थिति सामान्य हो चुकी है। स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो गयी है, अब उनको फीस लेने दिया जाए।

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