अब आपदा के नियमों के तहत मिलेगा पशुपालकों को मुआवजा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले पशुपालकों को अब वन्य जीवों से होने वाली पशु क्षति का मुआवजा आपदा के निमयों के तहत मिलेगा। पशु पालकों को अब पहले की अपेक्षा कई गुना अधिक मुआवजा मिलेगा। वन विभाग ने कार्य योजना तैयार कर वन्य जीवों से होने वाली पशु क्षति को आपदा के नियमों के तहत जोड़कर पशुपालकों को राहत देने की योजना बनाई है। इसके तहत गुलदार और टाइगर के द्वारा पशुपालकों के मवेशियों को नुकसान पहुंचाने पर मुआवजा की राशि दी जायेगी।
लैंसडौन वन प्रभाग में जंगली जानवरों के द्वारा ग्रामीणों के पशु को क्षति पहुंचाने पर वन विभाग के द्वारा बहुत ही कम मुआवजा दिया जाता था, लेकिन अब वन विभाग ने कार्य योजना तैयार कर पशु क्षति को आपदा के नियमों के तहत जोड़ दिया है। अब मुआवजे की राशि बढ़ा दी गई है। पहले गुलदार या टाइगर के द्वारा गाय को निवाला बनाने पर 15 हजार रुपये का मुआवजा वन विभाग की ओर से पशुपालक को दिया जाता था, अब ये मुआवजा राशि बढ़ाकर 30 हजार रुपए कर दी गई है, वहीं गाय के बछड़े को गुलदार या टाइगर द्वारा निवाला बनाने पर पहले 500 रुपए का मुआवजा वन विभाग की ओर से दिया जाता था, आपदा के नियमों के तहत अब मुआवजा 16 हजार रुपये कर दिया गया है। लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह ने बताया कि पशु क्षति को अब आपदा के नियमों के तहत जोड़ दिया गया है। इससे उम्मीद है कि अब वन विभाग के पास पर्याप्त बजट उपलब्ध रहेगा, जो भी रियल केस होगा उसका निस्तारण समय पर कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से पशुपालकों को समय पर मुआवजा दिया जा रहा है।