पौड़ी जनपद में पर्यटन को लेकर अपार संभावनायें: डीएम
पांच दिवसीय बर्ड वाचिंग प्रशिक्षण शुरू
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। जिला पर्यटन विकास विभाग पौड़ी के तहत जनपद में स्कूली छात्र-छात्राओं को साहसिक क्रिया-कलापों के अंतर्गत 5 दिवसीय बर्ड वाचिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम का जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर विधिवत शुभारंभ किया। जिलाधिकारी ने बच्चों को प्रशिक्षण के दौरान मन में उत्पन्न होने वाली जिज्ञासा को प्रशिक्षक से सवाल कर समुचित जानकारी जुटाने को कहा। उन्होंने कहा कि पौड़ी जनपद में पर्यटन को लेकर अपार संभावनायें हैं चाहे रीवर राफ्टिग के लिए ऋषिकेश, बर्ड वाचिंग के लिए टाईगर रिजर्व या हिमालय दर्शन के लिए खिर्सू उपयुक्त स्थान है।
जनपद में लग्जरी पर्यटकों को नेचर के करीब लाने हेतु प्रकृति में मौजूद संसाधन चिडियां की संसार की जानकारी जुटाने में जुटे स्कूली बच्चे। जिलाधिकारी की अभिनव पहल के तहत खिर्सू आने वाले पर्यटक पर्वतीय आलौकिक सुंदरता के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति, संस्कृति एवं पक्षियों के संसार से रूबरू हो सकेंगे। क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न प्रजातियों की वनस्पति एवं पक्षियों के डाटा को संकलित करने में जनपद के 40 स्कूली छात्र-छात्राएं 5 दिवसीय प्रशिक्षण बर्ड वाचिंग विशेषज्ञ से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। जिलाधिकारी डॉ. जोगदण्डे ने कहा कि पर्यटन विभाग में विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। समय के साथ पर्यटन का स्वरूप भी बदला है, वर्तमान में पर्यटक नया अनुभव लेने के लिए होमस्टे में रहकर यहां की खुब सूरती और संपदा को देखने के लिए आकर्षित कर सकते हैं। विभिन्न राज्य अलग-अलग प्रयोग करके पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं, जैसे केरल और हिमांचल प्रदेश आरोग्य पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं उसी प्रकार उतराखंड अग्रसर है। उन्होंने कहा कि पर्यटन यहां की नैर्सगीक प्राकृतिक धरोहर को दृष्टिगत रखते हुए बर्ड वाचिंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। लोग वनस्पति फूलों और जड़ी बूटियों को भी देखने आ रहे हैं, जिससे पर्यटन में रोजगार बढ़ रहे हैं। स्थानीय लोग पर्यटन को रोजगार से जोड़कर अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं।
जिलाधिकारी ने पर्यटन विभाग को निर्देश दिये कि इस तरह के कार्यक्रम अधिक से अधिक कराये जाय तथा बच्चों को इससे संबंधित किताबे भी उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि हर चिड़िया को पक्षी नहीं कहा जा सकता पक्षी के नाम के हिसाब से हमें उसका इतिहास, भौगोलिक स्थिति तथा वैज्ञानिक स्थिति का अध्ययन करना होता है। जिला पर्यटन विकास अधिकारी/साहसिक खेल अधिकारी खुशाल सिंह नेगी ने कहा कि खिर्सू एक ऐसा स्थल है जहां विभिन्न प्रजाति की पक्षियां मिलती हैं। जो पक्षियां शहरों में नहीं दिखती हैं वह पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से दिख जाती हैं। उन्होंने कहा कि छात्र्-छात्राएं विभिन्न प्रजाति के पक्षियों की पहचान कर बाहर से आने वाले पर्यटकों को गाईड के रूप में कार्य कर अच्छी आमदनी कमा सकते है। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो सकेगा। इस अवसर पर श्रीमती जोगदण्डे, पक्षी विशेषज्ञ अजय शर्मा, अस्विनी कुमार त्यागी, प्रबंधक गढ़वाल मंडल खिर्सू गिरवीर सिंह रावत, प्रशिक्षु राकेश सिह, ईशु नेगी, साहिल, अनुज नेगी, अजीत, शिल्पा, मेगा, प्रियंका, संतोषी सहित अन्य उपस्थित थे।
पक्षी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा
पौड़ी। पक्षी विशेषज्ञ ने छात्र-छात्राओं को पक्षियों के महत्व के बारे जानकारी देते हुए कहा कि जब डोडो पक्षी खत्म हुआ तो उस चैत्र में एक प्रजाति का वृक्ष भी समाप्त हो गया, इसलिए पक्षी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह शिविर पक्षियों की जानकारी के लिए लगाया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग में रोजगार का दायरा बढ़ा है और यह शिविर महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। पौड़ी में बर्ड वाचिंग की अपार संभावनाएं है, पर्यटक यहां आकर होम स्टै में रुक कर यहां के स्थानीय परिवेश को समझना चाहते हैं, यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आपके भविष्य की दिशा तय कर सकता है। उतराखंड में ऐसे कई उदाहरण हैं कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम से बच्चे निकल कर इको पर्यटन में जुड़कर रोजगार में लगे हैं व जैव विविधता को संरक्षित करने के कार्य को कर रहे हैं।