हाईकोर्ट के आदेशों का किश्तों में पालन करती है सरकार
-अनेक दिशा निर्देश जारी ..मगर अब तक चुनिंदा दिशा निर्देशों का ही सरकार ने अनुपालन किया
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट महामारी से लेकर तमाम मामलों पर महत्वपूर्ण आदेश पारित कर चुका है मगर सरकार हर बार उस आदेश का किश्तों में अनुपालन करती है। कोविड महामारी के मामले में सरकार ने झट से निजी अस्पतालों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर उनके मोबाइल नंबर भी जारी कर दिए मगर अन्य आदेशों पर रहस्यमय चुप्पी साध ली। पिछले साल कोरोना केस आने के बाद लॉकडाउन लगाया तो हजारों प्रवासी पैदल ही आने लगे। शहरी क्षेत्रों के होटलों, ग्राम सभा के पंचायत घर या सरकारी स्कूल भवन में उन्हें क्वारन्टीन किया गया। कोविड केयर सेंटर व अस्पतालों की बदहाली को लेकर तथा प्रवासियों को सुविधाएं नहीं मिलने पर अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून के सच्चिदानंद डबराल, बागेश्वर के डीके जोशी व अन्य ने अलग अलग जनहित याचिका दायर की। इस मामले में हाईकोर्ट ने अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने, रिक्त पदों पर नियुक्ति करने, उपकरणों की खरीद, आईसीयू, वेंटिलेटर की व्यवस्था करने समेत अनेक दिशा निर्देश जारी किए मगर अब तक चुनिंदा दिशा निर्देशों का ही सरकार ने अनुपालन किया। इसी जनहित याचिका का दायरा महाकुंभ हरिद्वार की व्यवस्थाओं तथा श्रद्धालुओं की कोविड जांच, अस्पतालों की व्यवस्था तज बढ़ाया गया। महाकुंभ को लेकर भी कोर्ट ने निर्देश जारी किए लेकिन इनका सतही पालन किया गया। कोविड महामारी की भयावहता को लेकर हाल ही में कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश पारित किया सरकार ने और दिशा निर्देश भले जो हो मगर कोविड मरीजों के लिए चिन्हित अस्पतालों में खाली बेड, ऑक्सीजन वाले बेड का ब्यौरा जारी करने के लिए पोर्टल बना दिया। अब जानकारी में यह आया कि देहरादून में जिन ऑक्सीजन सप्लायर के नाम जिलाधिकारी द्वारा जारी किए थे, ना उनके फोन उठे ना ही उनके पास ऑक्सीजन थी। जिसके बाद कोर्ट ने कल जिलाधिकारी को सूची अपडेट करने का आदेश जारी करना पड़ा। कल के महत्वपूर्ण आदेश के बाद सरकार ने शाम को ही जिला स्तर पर निजी अस्पतालों के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के साथ ही उनके मोबाइल नंबर जारी कर दिए। अब देखना यह है कि दूसरे बिंदुओं का अनुपालन कब होता है।