पूर्व सीएम हरीश रावत ने कोरोना पर लिखा निबंध, दी ये अहम जानकारी, दिए उदाहरण और दी सलाह
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत सोशल मीडिया में हमेशा सक्रिय रहते हैं। वह पोस्ट डालकर सरकार को सलाह देते हैं। साथ ही अन्य सूचनाएं भी प्रेषित करते हैं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत सोशल मीडिया में हमेशा सक्रिय रहते हैं। वह पोस्ट डालकर सरकार को सलाह देते हैं। साथ ही अन्य सूचनाएं भी प्रेषित करते हैं। आज उन्होंने सोशल मीडिया में कोरोना पर एक लंबा चौड़ा लेख लिखा। यानी कहें तो निबंध लिखा। इसमें उन्होंने कई अहम जानकारी दी। उदाहरण दिए। सरकार को सलाह दी। इस लेख को उन्होंने कोरोना पर केंद्रित किया। इसका शीर्षक भी उन्होंने दिया- कोरोना पर कुछ कहना चाहता हूं। उनकी पोस्ट इस प्रकार है।
कोरोना पर कुछ कहना चाहता हूँ: आज दिन में दिल्ली के दो परिवारों का मुझे ऑक्सीजन सिलेंडर दिलवाने के लिये टेलीफोन आया। मैंने ऑक्सीजन सिलेंडर देने के लिये युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी के पास उन्हें भेजा था। उन्हें ऑक्सीजन मिल गई और वो लोगश्रीनिवास जी की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे थे। दोनों दिल्ली के प्रभावशाली परिवार हैं। दिल्ली, देहरादून या हल्द्वानी हो ऑक्सीजन दुर्लभतर होती जा रही है। यह स्थिति पिछले चार-पांच सप्ताह के अंदर बनी है। हमारे उद्योग के पास ऑक्सीजन व ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने की क्षमता है। यदि कम भी है तो अतिरिक्त क्षमता युद्ध स्तर पर स्थापित की जा सकती है। उन्होंने आगे लिखा कि जब कोरोना संक्रमण इतनी तीव्रता से बढ़ रहा है तो हमारे पास बाजार में भी ऑक्सीजन के छोटे-बड़े सिलेंडर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने चाहिये। ताकि लोग अपने कुटुंबीजनों का जीवन बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग कर सकें। बेड व आईसीयू बेड और दवाइयों का सिलसिला इसके बाद आता है।
दिया चीन का उदाहरण: हरीश रावत ने पोस्ट में चीन का उदाहरण दिया। उन्होंने लिखा कि-चीन ने वहां कोरोना की पहली लहर आते ही 20-25 दिनों के अंदर बड़ी-बड़ी कैपेसिटी के आईसीयू बेड वाले हॉस्पिटल बनाकर संक्रमण को नियंत्रित किया। सुनामी के पहले दौर में हमने भी चीजों को बहुत संभाला व स्थिति को नियंत्रित किया। मगर इस बार के संक्रमण के फैलाव को रोकना बहुत कठिनतर बनता जा रहा है। हमने राजनैतिक लाभ व लापरवाही के कारण कोरोना के पहले दौर में अर्जित थोड़े बहुत लाभ की स्थिति को गवा दिया है।
सेवा को प्रेरित करने पर किया लेख का जिक्र: उन्होंने लिखा कि-आज मैंने प्रात: शशि शेखर का एक बहुत प्रेरणास्पद लेख पढ़ा। इन जुझारूओं के जज्बे को सलाम। उन्होंने उसमें ऐसे योद्धाओं का जिक्र किया है, जिन्होंने अपने गवां दिये, मगर दूसरों को बचाने के लिए अपने को समर्पित कर दिया। इनमें खीरी लखीमपुर के मिथिलेश सिंह जी भी हैं। शशि शेखर जी ने ऐसे लोगों का भी उल्लेख किया है जो अपने को खतरे में डालकर कोरोना संक्रमितों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने हल्द्वानी के 7 डॉक्टरों और एक सेवानिवृत्त बैंकर बीवी शर्मा का भी उल्लेख किया है। उन्होंने अपने लेख में इमाम मौलाना आरिफ का भी जिक्र किया है। जिन्होंने स्थानीय प्रशासन को मस्जिद की भूमि देकर वहां कोरोना कैंप लगाने का आग्रह किया है। हम रोज ऐसे लोगों के विषय में भी समाचार पत्रों में पढ़ रहे हैं कि जब कोरोना पीड़ित की अंतिम यात्रा में अपने कंधा देने के लिए नहीं मिल रहे हैं तो दूसरे धर्म को मानने वाले लोग आगे आकर कंधा दे रहे हैं। अंतिम संस्कार कर रहे हैं। यह है भारत जो हमको बड़ी से बड़ी चुनौतियों से लड़ने की क्षमता व प्रेरणा देता है।
देश को चाहिए स्पष्ट निर्णय और मार्गदर्शन: हरीश रावत लिखते हैं कि-देश को स्पष्ट निर्णय और मार्गदर्शन चाहिये। चुनाव निकल गये, परिणाम भी आ गये हैं। मगर अभी तक कोरोना के खिलाफ लड़ाई की स्पष्ट राष्ट्रीय नीति नहीं दिखाई दे रही है। इस बार केंद्र सरकार कह रही है कि लॉकडाउन आदि कठोर निर्णय लेने का फैसला राज्य सरकारों को करना है। यह एक बेचैनी पैदा करने वाली हिचकिचाहट है। राज्यों को लग रहा है कि केंद्र सरकार कठोर फैसला लेने का उत्तरदायित्व राज्यों पर डालना चाहती है। कोरोना, प्रशासनिक सीमाओं में बंधा हुआ नहीं है।
दिया उत्तराखंड का उदाहरण: उन्होंने आगे लिखा कि-कुछ राज्यों ने लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया है, मगर उसका लाभ यथा सीमा नहीं मिल पा रहा है। उदाहरण के लिए उत्तराखंड को लेते हैं जहां सभी राजनैतिक दलों ने कोई भी कदम उठाने का अधिकार माननीय मुख्यमंत्री जी को सौंप दिया है। पहले हिचकिचाते हुये 6 दिन का लॉकडाउन कुछ जिलों के नगरी क्षेत्रों में लगाया था। अब 3 दिन के लिए लॉकडाउन और बढ़ाया गया है। जबकि राज्य में कोरोना की स्थिति और चिंताजनक होती जा रही है। मैं अभी तक 3 दिन के लिये ही लॉकडाउन बढ़ाने का तर्क नहीं समझ पाया हूं।
देख रहा हूं हिचकिचाहट: हरीश रावत ने आगे लिखा कि-आपने भी पढ़ा होगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति के मुख्य स्वास्थ्य सलाहकार एंथोनी फांसी जी ने भारत में की वर्तमान स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पूरे देश में कुछ सप्ताह का पूर्ण लॉकडाउन आवश्यक बताया है। उन्होंने एक राष्ट्रीय स्तर पर ¡पूर्ण अधिकार संपन्न शीर्ष समूह¡ गठित करने का भी सुझाव दिया है। हरीश रावत ने कहा कि- मैं एक विशेषज्ञ की सलाह पर टिप्पणी करने योग्य नहीं हूं, मगर मैं राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर कठोरतम कदम उठाने को लेकर हिचकिचाहट साफ-साफ देख रहा हूं व महसूस कर रहा हूं।
आत्मबल बढ़ाने को चाहिए सहारा: उन्होंने लिखा कि यदि अनिश्चय और नीतिगत हिचकिचाहट के कारण हम कुछ और बहुमूल्य जीवन गवाते हैं तो इसका उत्तरदायित्व किसका बनेगा? आज हर आती हुई टेलीफोन रिंग के साथ व्यक्ति की बेचैनी बढ़ जा रही है। कोरोना चेन टूटने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। हमें आत्मबल बढ़ाने का सहारा चाहिये। चाहे राज्य सरकार वो सहारा प्रदान करें या केंद्र सरकार प्रदान करें। देश में शशि शेखर जी के तरीके से ¡इन जुझारूओं के जज्बे को सलाम¡ करने वाले कलमचियों की कमी नहीं है। देश में जीवटता की भी कमी नहीं है। उसको केवल समेटने व सहेजने वाले लोग चाहिये।