कोटद्वार-पौड़ी

खाकी वर्दी में भी आम इंसान होता है, अगर ये मदद कर सकते हैं तो हम क्यो नहीं

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दैनिक जयंत पुलिस कर्मियों के इस सेवा भाव को सैल्यूट करता है
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी।
खाकी वर्दी के भीतर भी एक आम इंसान होता है, इन्हें भी अपनी और अपनों की जान की परवाह होती है। बावजूद इसके पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण काल में पूरी तत्परता से असहायों व जरूरतमंदों की सेवा में जुटे हैं।
जब अपने सगे संबंधी, दोस्त और पडोसी बुरे वक्त में मदद करने से पीछे हट रहे हैं, ऐसे में पुलिसकर्मी इन सब रिश्तों को निभाते हुए मदद कर रहे हैं। महामारी का भय संवेदनाओं पर हावी हो रहा है। कोरोना संक्रमण के भय से लोग एक दूसरे की मदद करने से भी परहेज करने लगे हैं। वहीं इस सबके बीच पुलिसकर्मी मानवता को बचाए रखने के लिए जीजान से जुटे हुए हैं। बीते 11 मई शाम को रामलीला ग्राउंड मोहल्ला निवासी एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। मृतक कुछ दिनों से बीमार चल रहे था। पडोस में किसी व्यक्ति की मौत हो जाने की जानकारी के बाद भी कोरोना संक्रमण के भय से आस पड़ोस का कोई भी व्यक्ति पीड़ित परिवार के पास नहीं आया। हांलाकि किसी व्यक्ति ने उक्त सूचना पौड़ी कोतवाली पुलिस को दी। कोतवाल विनोद गुसाई ने बताया कि मृतक के साथ केवल उनकी पत्नी व सात वर्षीय बेटा मौजूद थे। पुलिस ने मृतक का कोरोना टेस्ट कराया जो नेगेटिव आया। कोतवाल गुसाई ने बताया कि मृतक के रिश्तेदारों को सूचना की गई तो उन्होंने अंतिम संस्कार में आने की बात कही। लेकिन बुधवार को पुलिस को सूचना मिली कि मृतक व्यक्ति के 2 रिश्तेदारों के अलावा कोई व्यक्ति नहीं आया है न ही कोई पड़ोसी शव को कंधा देने आ रहा है, शव को एंबुलेंस तक ले जाने के लिये मदद की आवश्यकता है। तब कोतवाली पौड़ी के चीता कांस्टेबल बुद्धि बल्लभ, कांस्टेबल सुरेंद्र, होमगार्ड धनवीर, पीआरडी महेंद्र पड़ोसी, रिश्तेदार व दोस्तों का फर्ज निभाने मृतक के घर पहुंचे। इन्होंने शव को सावधानी के साथ घर से एंबुलेंस तक पहुंचाया। फिर शव को अंतिम संस्कार के लिए श्रीनगर लाया गया। इससे पूर्व भी पुलिस कई ऐसे शवों का अतिम संस्कार कर चुकी है। जिन्हें कोरोना संक्रमण के भय से कांधा तक नहीं मिल पाया। युवा सामाजिक कार्यकर्ता कार्तिकेय बहुगुणा का कहना है कि यह समय पूरी मानव जाति के संकट का समय है। हम सब को एक-दूसरे की हर संभव मदद करनी होगी। युवा पत्रकार सिधांत उनियाल, दीपक बड़थ्वाल, मुकेश बछेती का कहना है कि खाकी के पीछे भी एक आम इंसान होता है। अगर वह असहायों व जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं तो हम क्यो नहीं कर सकते। इन संकट काल में हमें एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आना होगा।

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