कोटद्वार-पौड़ी

ऑनलाइन उपकरण के माध्यम से शोध जितना ही सरल होगा उतना ही उपयोगी भी

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जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के इंस्टिट्यूट इनोवेशन सेल की ओर से 15 जून को संचालित ऑनलाइन इंटर्नशिप कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजन कॉलेज में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निखिल कुमार राजपूत ने “ऑनलाइन शिक्षण एवं इससे संबंधित उपकरणों के प्रयोग” पर व्याख्यान मे मुख्य चर्चा की। कार्यक्रम का स्वागत डिपार्टमेंट ऑफ लॉ की शिवानी गुप्ता द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से गढ़वाल विवि की कुलपति अन्नपूर्णा नौटियाल, आईआईसी के अध्यक्ष एवं निदेशक प्रो. अतुल ध्यानी, उपाध्यक्ष डॉ. आलोक सागर गौतम, डॉ. सुधीर कुमार चतुर्वेदी, प्रो. वीणा जोशी, डॉ. दीवान सिंह राणा, प्रो. आरएस नेगी एवं अन्य पर्यवेक्षक जुड़े रहे। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. बृजेश गांगिल, वीर प्रताप सिंह, निखिल और अंशुल देवली थे। डॉ. निखिल ने शोध विभाग से जुड़ी हुई उपयोगी ऑनलाइन उपकरणों के बारे में बताया जो एक शोधकर्ता को उसके शोध में कारगर साबित होगा। ऑनलाइन उपकरण के माध्यम से शोध जितना ही सरल होगा उतना ही वह उपयोगी भी होता है। डॉ. निखिल ने ऑनलाइन उपकरण की सावधानियां भी बताई। शोध विभाग में उपयोग में लाए जाने वाले प्रत्येक उपकरण आवश्यक नहीं है कि वह सही ही हो वह सिर्फ आपके प्रेजेंटेशन तकनीक को सरल और व्यवस्थित तरीके से बनाने में मदद करती है। इस व्याख्यान के दौरान डॉ. निखिल ने अपने शोध में प्रयोग किए गए वाक्यों को किस प्रकार आप रोचक बना सकते हैं और उसे किस प्रकार दूसरों के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं इसका भी ज्ञान दिया। आज के व्याख्यान के दौरान सभी प्रतिभागियों ने अत्यंत लाभकारी उपकरणों को जाना। आज के व्याख्यान में कॉपीराइट और क्रिएटिव कॉमनस मुख्य चर्चा की विषय बनी रही। इस विषय पर प्रतिभागियों ने विशेष प्रकार के प्रश्न भी किए। प्रश्नोत्तर के दौर में आकांक्षा जोशी, आदित्य मिश्रा, साबिया मुफ्ती, नितेश कंडवाल एवं अन्य ने भी अपने प्रश्न पूछे और डॉ. निखिल ने उनके प्रश्नों का समाधान भी बताया। व्याख्यान के दौर में प्रो. अतुल ध्यानी सर ने अपने सुविचारों को व्यक्त किया एवं प्रतिभागियों को ऑनलाइन उपकरण के बारे में दी गई जानकारी को सावधानीपूर्वक उपयोग करने की सलाह दी। कार्यक्रम का समापन डॉक्टर सुधीर कुमार चतुर्वेदी एवं शिवानी गुप्ता द्वारा किया गया।

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