अल्मोड़ा में नवजात को जंगल में देंकने वाली महिला की जमानत खारिज
अल्मोड़ा । सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान की अदालत ने नवजात शिशु की हत्या के प्रयास संबंधी मामले में महिला की जमानत अर्जी खारिज कर दी। आरोपित ने नवजात को नग्न अवस्था में आरक्षित वन क्षेत्र में देंक दिया था। उपचार के दौरान नवजात ने दम तोड़ दिया था। जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) पूरन सिंह कैड़ा ने इसे जघन्य अपराध करार दे जमानत का पुरजोर विरोध किया।
मामला जुलाई 2020 का है। गोलीमैहर गांव के जंगल से लगे गधेरे में एक नवजात शिशु नग्न अवस्था में पड़ा मिला था। वह जीवित था। लमगड़ा पुलिस ने शिशु को सुपुर्दगी में लेकर उपचार के लिए चिकित्सालय पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। कुछ दिनों बाद नवजात की मौत हो गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो शक की सुई गौलीमहर गांव की एक महिला ओर घूमी। प्राथमिक जांच में पता चला कि अल्मोड़ा के एक अस्पताल में आरोपित महिला ने अल्ट्रासाउंड कराया था। काफी समय बाद भी प्रसव की कोई बात सामने नहीं आई तो शक बढ़ता चला गया। न्यायालय के आदेश पर डीएनए टेस्ट कराया गया। नवजात शिशु व संदिग्ध महिला का डीएनए मेल खा गया। पुलिस ने आरोपित महिला को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। जहां से उसे जेल भेज दिया था।
इधर शुक्रवार को आरोपित के अधिवक्ता की ओर से सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर की अदालत में जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई। जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) पूरन सिंह कैड़ा ने प्रभावी दलील पेश करते हुए मामले को जघन्य करार दिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश ने आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी।