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अफगानिस्तान: दुनिया पर सबसे बड़े शरणार्थी संकट का खतरा पैदा, भारत पर भी बोझ बढ़ने की आशंका

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नई दिल्ली, एजेंसी। जैसे ही 15 अगस्त को तालिबान काबुल पहुंचा, अफगानिस्तान में अफरा-तफरी मच गई। लोग अपना अपना शहर-अपना घर छोड़कर भागने लगे हैं। अपने देश से निकलने के लिए खौफजदा हो गए लोग प्लेन के पहियों तक पर लटक गए। जिसे जहां जो जगह मिल रही या जो गुंजाइश बन रही वह उधर ही भाग रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफगानिस्तान से होने वाले पलयान का चेहरा कितना विभत्स होने वाला है। विस्थापन का सबसे ज्यादा दुख महिलाएं और बच्चों को झेलना पड़ रहा है।
दुनियाभर के देश काबुल में अपना दूतावास खाली कर रहे हैं। सभी देश अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के मिशन पर हैं। भारत भी अपने नागरिकों की वतन वापसी करा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक में अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने और वहां से भारत आने के इच्टुक सिखों और हिंदुओं को शरण देने का निर्देश दिया है।
अफगान नागरिकों का अपने देश से पलायन जारी है। वे अलग-अलग देशों में पनाह ले रहे हैं। बीते सप्ताह में अब तक कई बड़े अफगानी नेता और सांसद भारत पहुंच चुके हैं। वर्दक के सांसद वहीदुल्लाह कलीमजई, अब्दुल अजीज हकीमी, अब्दुल कादिर जजई, मालेम लाला गुल, अफगानिस्तान के उच्च सदन के वरिष्ठ सलाहकार समेत करीब 12 सांसद और नेताओं ने भारत में शरण ली है। अफगान मुख्य वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला का परिवार वर्तमान में भारत में रहता है और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई जैसे अन्य लोग देश में रह चुके हैं और अध्ययन कर चुके हैं।
ऐसे में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए शरणार्थियों का बड़ा संकट पैदा होने वाला है। अमेरिकी मीडिया का अनुमान है कि पिछले दस दिनों के दौरान हर दिन करीब 30 हजार अफगानी देश छोड़ रहे हैं। ज्यादातर लोग पैदल या सड़क मार्ग से होते हुए सीमावर्ती पाकिस्तान, ईरान और अल्बानिया की ओर जा रहे हैं। कुछ लोग भारत की तरफ बढ़ रहे हैं।
कई और देशों ने अफगानी नागरिकों के लिए अपने देश की सीमाएं खोल दी है। हालांकि तालिबान के डर से उज्बेकिस्तान अफगानी नागरिकों को अपने यहां घुसने नहीं दे रहा है। न्यूयर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान की सीमा पर बने फ्रेंडशिप ब्रिज पर बड़ी तादाद में लोग पहुंच गए हैं जिन्हें वहां से लौटाया जा रहा है।

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