आाशा बोली शासनादेश जारी होने तक करेगें कार्यबहिष्कार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 37वें दिन मंगलवार को तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार शासनादेश जारी नहीं करेगी तब तक उनका कार्यबहिष्कार जारी रहेगा।
मंगलवार को 37वें दिन भी आशा कार्यकत्रियोंं ने तहसील परिसर में धरना दिया। साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार पर उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह एक माह से अधिक समय से मांगों को लेकर धरना दे रहे है, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि आशा कर्मचारी विषम परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा रही हैं। आशाओं ने कहा कि जब सरकार अन्य शासनादेश जारी कर सकती है तो उनकी मांगों को लेकर शासनादेश जारी करने में इतना समय क्यों लग रहा है। अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी ने कहा कि संगठन लंबे समय से आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने सहित 12 सूत्रीय मांगों को पूरा करने की मांग कर रहा है। प्रदर्शन करने वालों में उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, संगीता देवी, कल्पना, रीना, कल्पना, गीता जदली, रेखा, नीलम कुकरेती, सीमा शाही, सुनीता रावत, गोदांबरी देवी, हेमलता रावत, यशोदा जखमोला, सुनीता, संपति, मधु ममगांई आदि शामिल थे