नहीं रहे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत
-तमिलनाडु में पर्वतीय नीलगिरि जिले में कुन्नूर के निकट दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर में पत्नी संग थे सवार
-हेलीकॉप्टर में 14 लोग थे सवार, 13 लोगों की हुई मौत, पूरा देश डूबा शोक में
नई दिल्ली, एजेंसी : भारतीय वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर बुधवार को तमिलनाडु में पर्वतीय नीलगिरि जिले में कुन्नूर के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हेलीकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) विपिन रावत, उनकी पत्नी सहित 14 लोग सवार थे। हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई। क्रैश के बाद हेलीकॉप्टर में आग लगने की वजह से शव बुरी तरह झुलस गए हैं। ऐसे में शवों की पहचान के लिए डीएनए जांच कराई जाएगी। भारतीय वायु सेना ने ट्वीट किया कि ‘गहरे अफसोस के साथ यह पता चला है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य लोगों की मौत हो गई है।
बताया जा रहा है कि दुर्घटना कोहरे की स्थिति के चलते कथित तौर पर कम दृश्यता की वजह से हुई। वायुसेना ने कहा कि हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। हेलीकॉप्टर ने कोयंबटूर के पास सुलुर वायुसेना अड्डे से उड़ान भरी थी। टीवी फुटेज में दुर्घटना के बाद हेलीकॉप्टर में आग की लपटें उठती दिखीं। बचावकर्मी, सेना के जवानों के साथ दुर्घटनास्थल से मलबा हटाते देखे गए।
उधर, सेना की ओर से मिला जानकारी के मुताबिक, बुधवार दिल्ली से सुलुर के लिए जनरल रावत पत्नी मधुलिका रावत के सात निकले थे। उनके साथ ब्रिगेडियर एलएस लिदर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांस नायक बी साई तेजा, हवालदार सतपाल थे।
पहले भी हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो चुके थे बिपिन रावत
यह हादसा तीन फरवरी 2015 को हुआ था। उस वक्त बिपिन रावत चीफ आफ डिफेंस स्टाफ नहीं बने थे। बिपिन रावत को सीडीएस साल 2016 में नियुक्त किया गया था। बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस हैं। तब लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत सेना की नगालैंड के दिमापुर स्थित 3-कोर के हेडक्वार्टर के प्रमुख का पद संभाल रहे थे। दिमापुर से बिपिन रावत अपने हेलीकॉप्टर में सवार होकर निकले, लेकिन कुछ ऊंचाई पर जाकर उनके हेलीकाप्टर ने नियंत्रण खो गया और क्रैश हो गया। बताया जाता है कि हेलीकॉप्टर के क्रैश होने के पीछे इंजन फेल होने का कारण था। हालांकि सीडीएस बिपिन रावत ने मौत को मात दी। उस वक्त उन्हें सिर्फ मामूली चोटें आई थी।
हेलीकॉप्टर की खासियत
जिस हेलीकॉप्टर में सीडीएस सफर कर रहे थे वो इसलिए भी विश्वसनीय है क्योंकि इसकी क्षमता काफी अधिक है। इसका फ्यूल टैंक दूसरे हेलीकॉप्टर के मुकाबले बड़ा होता है। ऐसा इसलिए होता है कि ये अधिक दूरी तक जा सके। इसमें दो इंजन होते हैं, इसलिए ही इसको वीवीआईपी के दौरे के लिए मुफीद पाया जाता है। एक इंजन में आई खराबी के बावजूद ये उड़ान भर सकता है। सेना के जवानों को इधर-उधर ले जाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। वीवीआईपी की कोई भी उड़ान बेहद अनुभवी पायलट ही उड़ाते हैं।
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हेलीकॉप्टर क्रैश की खबर सुनते ही सीएम ममता बनर्जी ने रोकी बैठक
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को ले जा रहे सेना के हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक समीक्षा बैठक को बीच में ही समाप्त कर दिया। मुख्यमंत्री ने बैठक स्थल से जाते हुए कहा, ‘हमें एक दुखद खबर मिली है। मैं स्तब्ध हूं। अपना दुख प्रकट करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैं इस बैठक को समाप्त कर रही हूं।’ मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘कुन्नूर से बेहद दुखद खबर आ रही है। हेलिकॉप्टर पर सवार सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनके परिवार के सदस्यों समेत अन्य की सलामती के लिए आज पूरा देश प्रार्थना कर रहा है। इस दुर्घटना में घायल लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करती हूं।’
संसद में देंगे हेलीकॉप्टर क्रैश की जानकारी
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सरकार गुरुवार को संसद में दुर्घटनाग्रस्त हुए सैन्य हेलीकॉप्टर एमआई-17 वी5 के बारे में जानकारी देगी। उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नई दिल्ली स्थित सीडीएस जनरल बिपिन रावत के घर पहुंचे। यहां परिजनों से मुलाकात कर, थोड़ी देर रुकने के बाद रक्षा मंत्री वहां से रवाना हो गए। वहीं, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वो हादसे का जायजा लेने के लिए दुर्घटना स्थल का मुआयना करेंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन को बचाव कार्यों में हर संभव मदद मुहैया कराने का निर्देश दिए गए हैं।
पौड़ी के बिपिन रावत ने इस तरह पाया यह मुकाम
नई दिल्ली, एजेंसी : दिसंबर 2019 में जनरल बिपिन रावत को देश के पहले चीफ सीडीएस नियुक्त किया गया था। उन्होंने जनवरी 1979 में सेना में मिजोरम में प्रथम नियुक्ति पाई थी। आइए जानते हैं जनरल बिपिन रावत के कॅरियर से जुड़ी कुछ खास बातें…
-उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में बिपिन रावत का जन्म हुआ।
-इनके पिता एलएस रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर थे।
-रावत ने भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक उपाधि प्राप्त की।
-आईएमए देहरादून में ‘सोर्ड आफ आनर’ से सम्मानित किए जा चुके हैं।
-साल 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मीडिया अध्ययन में पीएचडी की।
-01 सितंबर 2016 को रावत ने सेना के उप प्रमुख के पद की जिम्मेदारी संभाली।
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पाक-चीन से लगती सीमाओं पर संभाली अहम जिम्मेदारियां
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान और चीन के साथ लगती सीमाओं पर परिचालन संबंधी विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली। उन्होंने पूर्वोत्तर समेत कई इलाकों में अहम पदों पर काम किया। वह युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक एवं विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किए जा चुके हैं।
म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक से कर दिया था हैरान
जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में ही मणिपुर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद सीमा पार म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस सर्जिकल स्ट्राइक में एनएससीएन के कई उग्रवादियों को मार गिराया गया था और उनके कैंप तबाह कर दिए गए थे। इस कार्रवाई में 21 पैरा के कमांडो शामिल थे। थर्ड काप्र्स के अधीन इस बटालियन के कमांडर उस वक्त बिपिन रावत थे।
बढ़ता गया रावत पर भरोसा
म्यांमार में की गई इस सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता के बाद सरकार का जनरल रावत पर भरोसा और बढ़ गया था। नतीजतन रावत को 31 दिसंबर 2016 में सेना के तीनों अंगों का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया था। कहते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में रावत को पूर्वी सेक्टर में एलओसी, पूर्वोत्तर के अशांत इलाकों और कश्मीर में काम करने का लंबा अनुभव काम आया।
पीओके की सर्जिकल स्ट्राइक रही खास
उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद जनरल बिपिन रावत ने ही पाकिस्तान पर पलटवार की कमान संभाली थी। जनरल बिपिन रावत के ही नेतृत्व में भारतीय सेना ने 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान में स्थित आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। ट्रेंड पैरा कमांडो ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान बुरी तरह घबरा गया था।