पहली उत्तराखण्डी फिल्म के निर्माता, निर्देशक, अभिनेता पराशर गौड़ की पुस्तक पदचाप का लोकार्पण

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जयन्त प्रतिनिधि
देहरादून। देहरादून में पहली उत्तराखण्डी गढ़वाली फिल्म ’जग्वाल’ के निर्माता पाराशर गौड़ के काव्य संग्रह ’पदचाप’ का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अतिथि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी द्वारा की गई। स्वागत गीत लोकगायिका पूनम नैथानी द्वारा प्रस्तुत किया गया और लेखक का परिचय धाद साहित्य एकांश की ओर से कल्पना बहुगुणा द्वारा पढ़ा गया । काव्य संग्रह की कविताओं का ’कहानी’ ’मंथन’ वाचन मंजू काला ने किया। काव्य संग्रह की समीक्षा करते हुए गणेश खुकशाल ने कहा कविता की दुनिया बहुत बड़ी होती है, उसमे प्रवेश करने के कई रस्ते है। कविता अपने समय का बखान भी होती है। जब हम पदचाप की कविताओं के शीर्षक देखते है तो हमें पाराशर गौड़ जी की कविताओं में उनके समय के सन्दर्भ दिखते है। पलायन एक चिंतन के साथी रतन सिंह असवाल ने कहा कि जग्वाल फिल्म बनाकर इतिहास रचने वाले पाराशर गौड़ इतिहास पुरुष है और एक ही गाँव होने के कारण वो उनकी जीवन यात्रा के गवाह है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कविता की अपनी एक भाषा होती है और “पदचाप“ शब्दों की पदचाप है, और जीवन की पदचाप है। उन्होंने आगे कहा कि पाराशर गौड़ जी की प्रतिभा से उनका परिचय एक फिल्मकार के तौर पर हुआ था। लेकिन उन्होंने अपनी संवेदनशीलता को व्यक्त करने के लिए दूसरे ,माध्यमों का भी प्रयोग किया जो स्वागत योग्य है।
कार्यक्रम का संचालन अवनीश उनियाल ने किया ।
कार्यक्रम में वेद उनियाल छायाकार दिनेश कंडवाल योगेश भट्ट जगदीश बमोला रतन सिंह असवाल जितेन ठाकुर नदीम बरनी, मनोज पंजानि पुष्पलता ममगाईं जीतेन्द्र शर्मा तन्मय ममगाईं सुरिंदर पुंडीर कविता बिष्ट रश्मि पंवार जय सिंह रावत जय प्रकाश बमोला गिरीश सुन्द्रियाल अनन्य घिल्डियाल रमेश नौडियाल विजय पाल रावत डॉ सुशिल उपाध्याय पी एस चौहान अरविन्द गुसाईं मदन शर्मा व्योम प्रकाश आदि मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में श्री तोताराम ढौंडियाल द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों का आभार किया गया।

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