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रूस से ईंधन खरीदना मुश्किल, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से भारतीय कंपनियों व बैंकों के लिए नई चुनौती

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नई दिल्ली, एजेंसी। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच दिसंबर, 2021 में हुई मुलाकात में ईंधन क्षेत्र में सहयोग एक बड़ा मुद्दा था। तेल उत्पादक देशों (ओपेक) पर अपनी निर्भरता कम करने में जुटे भारत की मंशा रूस से ज्यादा से ज्यादा कच्चे तेल व गैस खरीदने की थी। लेकिन यूक्रेन पर हमले के बाद जिस तरह से पश्चिमी देशों ने रूस पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है उसकी वजह से भारतीय कंपनियों के लिए वहां से ईंधन खरीदना आसान नहीं होगा। मौजूदा हालात को देखते हुए रूस से क्रूड खरीदने की भारतीय कंपनियों की योजना पर असर दिखना शुरु हो भी हो गया है। इसके अलावा जिन भारतीय कंपनियों ने रूस के तेल व गैस फील्ड में पहले से हिस्सेदारी खरीद रखी है उन्हें लाभांश मिलने में भी दिक्कतें आ सकती हैं।
सूत्रों का कहना है कि रूस पर लगे प्रतिबंध और जिस रास्ते से रूस से क्रूड लाया जाता है उससे जुड़े खतरे को देखते हुए बीमा कंपनियों ने बीमा कवरेज की दर बढ़ा दी है। इससे वर्ष 2022 में रूस की कंपनी रोसनेफ्ट से 20 लाख टन क्रूड खरीदने की भारतीय कंपनी इंडियन आयल (आइओसी) की योजना पर असर पड़ता दिख रहा है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए कंपनियां सबसे सस्ते क्रूड खरीद को तरजीह दे रही हैं, ऐसे में बीमा कवरेज के लिए ज्यादा कीमत देना एक घाटे का सौदा साबित हो सकता है। यही वजह है कि आइओसी में अभी रूस के क्रूड को खरीदने को लेकर संशय का माहौल है। कंपनी अगले कुछ दिनों की स्थिति को देख कर आगे फैसला करेगी।
बताया जा रहा है कि जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग लेन देन को तकनीकी तौर पर सुविधाजनक बनाये जाने वाले प्लेटफार्म (स्विफ्ट) से रूस को अलग किया गया है उसकी वजह से भी भारत के लिए रूस से क्रूड खरीदना आसान नहीं होगा। यूरोप व अमेरिकी देशों में बैंोकग कारोबार करने वाले भारतीय बैंक रूस को भुगतान करने का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे। ऐसा करने पर इन बैंकों पर भी कार्रवाई होने की संभावना है। अगर रूस पर ये अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लंबे समय तक रहता है तो रूस के तेल व गैस फील्ड में आगे निवेश करने की भारतीय कंपनियों की योजना को साकार करने में भी काफी सोचना-समझना होगा। बहरहाल, पेट्रोलियम व प्रातिक गैस मंत्रालय में इन सभी पहलुओं पर विमर्श शुरू किया गया है ताकि समय रहते उचित समाधान निकाला जा सके।

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