श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी ने पेश किया संविधान संशोधन विधेयक, पूर्व थल सेना प्रमुख बोले- संशोधन से नहीं होगा समाधान
कोलंबो, एजेंसी। संविधान में संशोधन और सरकार की राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करना ही कर्ज में डूबे श्रीलंका के संकट का समाधान नहीं हो सकता। पूर्व थल सेना अध्यक्ष सरथ देंसेका ने यह कहते हुए देश की राजनीतिक संस्ति में बदलाव की जरूरत को रेखांकित किया है। श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी समागी जन बालाबेगाया (एसजेबी) ने गुरुवार को एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया।
इस संशोधन में अन्य प्रविधानों के अलावा देश में 1978 से जारी राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने और इसकी जगह संवैधानिक लोकतंत्र लागू करने की मांग शामिल है। अब एसजेबी सांसद फोंसेका ने गुरुवार को संसद में कहा, श्स्कूल का प्रिंसिपल जब किसी बच्चे को गाली दे तो आपको प्रिंसिपल का पद समाप्त करने की जगह उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।श्
एसजेबी ने खराब आर्थिक संकट को लेकर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनकी श्रीलंका पोदुजना की अगुआई वाली सरकार से इस्तीफे की मांग को लेकर हुए व्यापक प्रदर्शन को देखते हुए कदम उठाया है। एसजेबी ने संसद के महासचिव को 21वें संविधान संशोधन का मसौदा सौंपा है।श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने शुक्रवार को माना कि रांबुक्काना में हुईोहसा पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की बैठक में शामिल नहीं होकर भूल की। पुलिस फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
श्रीलंका पुलिस ने गलत व्यवहार के लिए तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। गलत व्यवहार के कारण रांबुक्काना हिंसा में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। यहां सरकार विरोधी निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई। जांच के लिए एक विशेष पुलिस टीम गठित कर तीन दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है।
संकट का सामना कर रहे श्रीलंका से और 18 नागरिक भागकर शुक्रवार को भारत पहुंच गए। धनुषकोडि पहुंचे परिवारों को मंडपम शरणार्थी शिविर में रखा गया है। 18 लोगों में तीन बच्चे शामिल हैं। नौकाओं से दो जत्थे में आए लोग अरिचाल्मुनै में उतरे।