उत्तराखंड

मन का शुद्घिकरण करती है श्रीमद्भागवत कथारू श्रीमहंत ज्ञानदास

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हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मन का शुद्घिकरण होता है, संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण एवं भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। बैरागी र्केप स्थित श्री ब्राह्मण परशुराम धर्मशाला समिति के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रद्घालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्घ होती है। जब हम निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। श्रीमहंत ज्ञान दास महाराज के पा पात्र शिष्य बाल कथा व्यास महंत अंकित दास महाराज ने कहा कि जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे। कलयुग में कथा सुनने मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और प्राणी मात्र का अलौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। महंत संजयदास एवं महंत रामदास ने कहा कि भगवान श्री ष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिव जी को भी गोपी का रूप धारण करना पड़ा था। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है। परंतु मनुष्य दर्शन को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलयुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। जिसके श्रवण से करोड़ों पुण्य का फल प्राप्त होता है और दुर्लभ प्राणी को ही कथा श्रवण का लाभ प्राप्त होता है। श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है। इसलिए सभी को इसका श्रवण करते हुए अपने बच्चों को भी संस्कारवान बनाकर कथा सुनने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस अवसर पर महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत गोविंददास, महंत निर्मलदास, महंत लंकेश दास, डा़धर्मपाल, समाजसेवी जयभगवान एवं बड़ी संख्या में श्रद्घालु भक्त उपस्थित रहे।

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