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मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं: ठाकरे

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संकट में उद्घव ठाकरे का इमोशनल कार्ड- लकड़ी की कुल्हाड़ी ही पेड़ काटती है
मुंबई, एजेंसी। महाराष्ट्र की सरकार और शिवसेना पर संकट के बीच उद्घव ठाकरे ने फेसबुक लाइव पर जनता को संबोधित करते हुए भावुक अपील की है। उन्होंने एकनाथ शिंदे गुट को इशारों में संकेत देते हुए कहा कि यदि कोई मुझे सीएम नहीं देखना चाहता है तो सामने आकर कहें, लेकिन शिवसेना के साथ गद्दारी न करें। यही नहीं संकट को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि कहावत है कि पेड़ को जिस कुल्हाड़ी से काटा जाता है, उसमें लकड़ी ही लगी होती है। वही स्थिति आज पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि यदि मेरे ही लोग मुझे सीएम नहीं देखना चाहते हैं तो फिर मैं क्या कर सकता हूं, यह सबसे बड़ा सवाल है।
उन्होंने बागी नेताओं से संवाद की अपील करते हुए कहा, श्यदि आप मुझे सीएम नहीं देखना चाहते हैं तो मेरे सामने कह सकते थे, इसके लिए सूरत जाने की क्या जरूरत थी। यदि गुवाहाटी गए विधायकों में से कोई भी आकर कहता है कि मुझे सीएम नहीं देखना चाहता तो तुरंत इस्तीफा दे दूंगा। जो भी कहना है, मेरे सामने आकर कहें। एक तरफ वे कहते हैं कि वे शिवसेना से गद्दारी नहीं करेंगे और बगावत भी करना गलत है।श् उन्होंने कहा कि मेरे सामने आकर रहें तो तुरंत इस्तीफा दे दूंगा। मेरे साथ जब तक शिवसेना के कार्यकर्ता हैं, तब तक किसी भी चुनौती से डरूंगा नहीं। यदि शिवसैनिकों को लगता है कि मैं शिवसेना का प्रमुख बनने लायक नहीं हूं तो मैं उसे भी छोड़ने के लिए तैयार हूं।
मेरे पद छोड़ने के बाद कोई शिवसैनिक सीएम बनता है तो मुझे खुशी होगी। मेरे अलावा यदि कोई और सीएम चाहिए तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं। मेरे सामने आकर बात की जाए। कोई भी संकोच है तो फोन पर बात करें, लेकिन गद्दारी न करें। उद्घव ठाकरे ने कहा कि लोकतंत्र में संख्याबल पर ही जीत होती है, लेकिन यह कैसे जुटाई गई है, यह भी अहम बात है।
शिवसेना के हिंदुत्व से समझौते के एकनाथ शिंदे के आरोपों पर जवाब देते हुए उद्घव ठाकरे ने कहा कि 2014 के बाद जो मंत्री पद मिले थे, वह नई शिवसेना से ही मिले थे। बालासाहेब ठाकरे के बाद चुनाव के बाद ही यह मिले थे। उन्होंने कहा कि जनता शिवसेना की भावना को समझती है और हमारे शिवसैनिक दिन-रात उनके लिए काम करते हैं। मैं तो अस्पताल से भी लगातार काम करता रहा। मेरे पास कोई अनुभव नहीं था, लेकिन जिम्मा उठाया और पूरी हिम्मत के साथ काम किया। मैंने शिवसेना प्रमुख को जो वचन दिया था, उसे पूरा करने के लिए मैदान में उतरा था। हम सालों से कांग्रेस और एनसीपी के साथ लड़ रहे थे, लेकिन उनके साथ गए।
उद्घव ठाकरे ने कहा कि पिछले दिनों हमने राम मंदिर का दौरा किया था, उस दौरान तो एकनाथ शिंदे भी हमारे साथ थे। बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु के बाद हमने 2014 का चुनाव अपने दम पर लड़ा और हिंदुत्व के मुद्दे पर ही सफलता हासिल की थी। शिवसेना और हिंदुत्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हमने जब फैसला लेने की बात कही तो शरद पवार ने मुझसे बात की और कहा कि यदि आप ही सीएम बनें तो फिर हम समर्थन दे सकते हैं। उनका कहना था कि सीनियर नेता तो हमारे पास भी हैं, लेकिन सरकार का गठन होना है तो फिर आपको ही लीडरशिप करनी होगी। मैंने तो कहा था कि मेरे पास तो कभी नगर निगम का भी अनुभव नहीं रहा। मेरे पद लेने के पीटे कोई स्वार्थ नहीं है। राजनीति कभी भी कोई मोड़ ले सकती है।

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