देश-विदेश

कांग्रेस के लिए एक परिवार और सत्ता सबसे महत्वपूर्ण : अमित शाह

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली ,  भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा देश के लोकतांत्रिक इतिहास का काला दिवस आपातकाल की 50वीं बरसी पर कहा कि एक परिवार की सत्ता के लिए कांग्रेस ने बार-बार संविधान की आत्मा को कुचला।अमित शाह ने कहा कि राजीव गांधी ने किया था इमरजेंसी का समर्थन, सदन में कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नही ।अमित शाह ने कहा कि जरूरत होने पर इमरजेंसी न लगाए ऐसा नेता पीएम के लायक नहीं, अपने पिता का यह बयान भूल गए हैं कांग्रेस के युवराज।आपातकाल के अत्याचारों पर गर्व करना यह दर्शाता है कि कांग्रेस के लिए एक परिवार और सत्ता सबसे महत्वपूर्ण हैं। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने एक खास परिवार को सत्ता में बनाए रखने के लिए कई बार भारत के संविधान की भावना को कुचला है। कांग्रेस सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाकर लाखों लोगों पर निर्मम अत्याचार किए। उसके बाद इंदिरा गांधी के पुत्र राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद आपातकाल को जायज ठहराया था। शाह ने कहा कि देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। 25 जून 1975 को कांग्रेस की सरकार द्वारा देश में आपातकाल लगाया गया था, यह लोकतंत्र कुचलने का सबसे बड़ा उदाहरण है। कांग्रेस पार्टी के युवराज यह भूल गए हैं कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने की कोशिश में देश पर आपातकाल थोपा था। कांग्रेस के युवराज के पिता राजीव गांधी ने 23 जुलाई 1985 को इस भयावह घटना पर गर्व करते हुए लोकसभा में कहा था कि आपातकाल में कुछ भी गलत नहीं है। आपातकाल को लोकतंत्र के लिए घातक बताने के बदले राजीव गांधी ने यहां तक कहा था कि अगर इस देश का कोई प्रधानमंत्री इन परिस्थितियों में आपातकाल को जरूरी समझता है और आपातकाल को लागू नहीं करता है, तो वह इस देश का प्रधानमंत्री बनने के लायक नहीं है। शाह ने कहा कि राजीव गांधी द्वारा तानाशाही कृत्य पर गर्व करना दर्शाता है कि कांग्रेस को परिवार और सत्ता के अलावा कुछ भी प्रिय नहीं है। अहंकार में डूबी निरंकुश तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक परिवार की सत्ता के लिए 21 महीनों तक देश में आपातकाल लगाए रखा था। आपातकाल के दौरान नागरिकों के सभी प्रकार के अधिकार निलंबित कर दिया गया था, मीडिया पर सेंसरशीप लगा दिया गया था, संविधान में बदलाव किए गए और न्यायालय तक के हाथ बांध दिया गया था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक समय था। आपातकाल के खिलाफ संसद से सडक़ तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के संघर्ष को नमन करता हूं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!