विनाश देने वाले विकास के विरोध में गांधी पार्क से घंटाघर तक निकाला मार्च
देहरादून। दून में सैकड़ों लोगों के साथ राज्य के प्रमुख जन आंदोलनों और विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने गांधी पार्क के मुख्य गेट पर एकत्र होकर प्रदर्शनकिया और घंटाघर तक जुलुस निकाला। इन कार्यक्रमों द्वारा लोगों ने आक्रोश जताया कि जिन हकों के लिए तिलाड़ी के शहीदों ने अपनी जान दी, 92 साल बाद भी वही हक जनता से छीने जा रहे हैं। उन्होंने खास तौर पर कुछ बिंदु रखे। किसी भी परिवार को बेघर करना बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए घातक हो सकता है। इसलिए अतिक्रमण हटाने के नाम पर या विकास परियोजनाओं के नाम पर किसी भी परिवार को बेघर न किया जाये। भू कानून पर 2018 में हुऐ संशोधन को तुरंत रद्द किया जाये। उत्तराखंड में चकबंदी, बंदोबस्त और स्थानीय विकास के लिए भू कानून बहुत जरूरी है। राज्य में वन अधिकार कानून पर पूरी तरह से अमल हो। वनअधिकार कानून के तहत, वन भूमि में किसी भी संसाधन को इस्तेमाल करने से पहले वहां की स्थानीय ग्राम सभा से अनुमति ली जाये। बड़ी परियोजनाओं को दी जा रही सब्सिडियों को खत्म कर, उससे जो निधि बचती है, उसके आधार पर महिला किसानों, महिला मजदूरों, एकल महिलाओं और अन्य शोषित महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जाये। जब जनता महंगाई और लकडाउन के प्रतिकूल प्रभाव का सामना कर रही है, यह जरूरी है कि जिस तरह की व्यवस्था तमिलनाडु और केरल में है, उत्तराखंड में भी बिना शर्त सबके लिए राशन उपलब्ध किया जाये। कुछ जगहों में जहाँ पर संगोष्ठी हुई है, इन मुद्दों को ले कर प्रस्ताव को पास करवाया गया। दून के जुलुस में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी, उत्तराखंड महिला मंच के कमला पंत, निर्मला बिष्ट, गीता गैरोला, समाजवादी पार्टी के राज्य अध्यक्ष डा़एसएन सचान, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, रामु सोनी, सुनीता देवी, राजेंद्र साह, मुकेश उनियाल, अशोक कुमार, रहमत अली, सुवा लाल, विजेंद्र कुमार, सीपीआई(मार्क्सवादी) के राज्य सचिवालय समिति सदस्य एसएस सजवाण, जन संवाद समिति के सतीश धौलाखंडी, सर्वोदय मंडल के बिजू नेगी, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, सीआईटीयू राज्य सचिव लेखराज,एसयूसीआई के मुकेश सेमवाल शामिल रहे।