चमोली : जनप्रतिनिधियों ने सरकार द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। कालेश्वर के पूर्व प्रधान हरीश चौहान ने कहा कि यदि 2011 की जनगणना को आधार माना गया है तो उसके हिसाब से 2025 में कालेश्वर क्षेत्र पंचायत सदस्य पद अनारक्षित होना चाहिए था, जबकि यह पद महिला आरक्षित कर दिया गया है। राजेन्द्र नेगी का कहना है कि सरकार द्वारा 2014 एवं 2019 के चुनाव में 2011 की जनगणना के रोस्टर के आधार पर किये गए। 2025 के चुनाव को अब सरकार शून्य रोस्टर से करवाने जा रही है, जो कि सरासर गलत एवं दोहरी नीति का पर्याय है। हरीश चौहान का कहना है कि उत्तराखंड शासन द्वारा प्रधान पद पर सीटों के चयन का आधार जनसंख्या रखा गया है। जबकि बीडीसी एवं जिला पंचायत पद पर आरक्षण के चयन का आधार जनसंख्या का अनुपातिक क्रम रखा गया है, जो कि सरासर निराधार एवं तथ्यहीन है। उत्तराखंड शासन द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए जनता एवं जनप्रतिनिधियों की शिकायतों एवं निस्तारण के लिए ऑनलाइन सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं थी। जबकि नगर निकाय चुनाव में आपत्ति दर्ज करने एवं निवारण हेतु ऑनलाइन की सुविधा दी गई थी। ऐसे में आम जनता एवं जनप्रतिनिधियों को जनपद मुख्यालय गोपेश्वर का मीलों दूरी का सफर तय करना पड़ा। कहा कि आपत्तियों की वीडियोग्राफी की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल के सेवानिवृत न्यायाधीश बीएस वर्मा की अध्यक्षता में गठित एकल सदस्यीय समिति की 27 फरवरी 2025 की रिपोर्ट के आधार पर पंचायत में आरक्षण का निर्धारण किया जाए। (एजेंसी)