आचार्य नौटियाल को मिली डॉक्ट्रेट की उपाधि

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रुद्रप्रयाग : प्रसिद्ध रंगकर्मी आचार्य कृष्णानंद नौटियाल को उनके शोधकार्यों के लिए पं दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी विद्यापीठ द्वारा पीएचडी (विद्यावाचस्पति) की उपाधि से सम्मानित किया गया है। डॉक्ट्रेट की उपाधि मिलने पर उन्हें कई लोगों ने बधाई दी है। आचार्य नौटियाल करीब तीन दशक से सम्पूर्ण उत्तराखंड सहित देश के अनेक शहरों एवं मेलों में पाण्डव लीलाओं के साथ स्वरचित एवं निर्देशित महाभारत कालीन चक्रव्यूह, कमलव्यूह, मकरव्यूह, विन्दुव्यूह, गैण्डा-कौथिग आदि लुप्तप्राय महानाट्यों का मंचन करके उत्तराखंड की देव-संस्कृति का देश-विदेश में प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। नौटियाल केदारघाटी के प्रसिद्ध मण्डाण सांस्कृतिक ग्रुप केदारघाटी के संस्थापक अध्यक्ष/निर्देशक/ रंगकर्मी है। जबकि सेवानिवृत प्रधाचार्य है। आचार्य कृष्णानन्द नौटियाल को उनके शोध ग्रन्थ महाभारत मण्डाण (लोक-संस्कृति का संरक्षण एवं संवद्र्धन) विषय पर किए गए शोधकार्यों के लिए पं दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी विद्यापीठ द्वारा पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया गया है। पश्चिम विहार दिल्ली के रेडीसन ब्लू में आयोजित समारोह के मौके पर उत्तराखंड राज्य के एक मात्र प्रतिभागी आचार्य कृष्णानन्द नौटियाल के अतिरिक्त देश-विदेश से पहुंचे करीब 50 से अधिक शोधकर्ताओं को पीएचडी (विद्यावाचस्पति सारस्वत) सम्मान से सम्मानित किया गया। बता दें कि आचार्य कृष्णानन्द नौटियाल ने गढ़वाली चक्रव्यूह महानाट्य की रचना कर उसका सबसे पहले मंचन 25 फरवरी 1995 को परेड ग्राउंड देहरादून में किया था। कण्डारा (रुद्रप्रयाग) के लोक कलाकारों के सहयोग से मंचित यह ऐतिहासिक चक्रव्यूह, उत्तराखंड की देव संस्कृति के संरक्षण एवं संवद्र्धन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। तब से लेकर वर्तमान तक विभिन्न कला मंचों द्वारा इसका 1500 से अधिक मंचों पर मंचन किया जा चुका है। (एजेंसी)

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