उत्तराखंड

दून में डॉक्टरों की एसीआर-वेतन अटकाया, पीजी विवाद में फैसले का इंतजार

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देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं का आलम है। डॉक्टरों के प्रमोशन के लिए एसीआर यानि वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट उनके विभागों से ही अटका दी गई है। जेआर वेतन, प्रशिक्षु स्टाइपेंड को तरसे हैं। पीजी डॉक्टरों के बीच नेत्र रोग विभाग में विवाद में कमेटी की बैठक नहीं हो पा रही है। जबकि विभाग में गुटबाजी अभी भी हावी है।
पीजी डॉक्टरों के विवाद में टली बैठक, बढ़ा इंतजार
दून मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में पीजी डॉक्टरों में विवाद के लिए बनी कमेटी की मंगलवार को बैठक नहीं हो सकी। दोनों पक्ष बैठक के संबंध में पूछताछ एवं इंतजार करते रहे। बाद में पता चला कि कमेटी के सदस्य पूरे उपलब्ध नहीं है। विभाग में पीजी डॉक्टरों में विवाद सामने आया था। दो पक्षों ने एक दूसरे पर उत्पीड़न एवं मानसिक शोषण का आरोप लगा पीजी सेक्शन, प्राचार्य को शिकायत की थी। एचओडी मामले को नहीं सुलझा पाई थी। प्राचार्य ने छह सदस्यीय कमेटी गठित की थी, जिसमें विगत 14 मई को बैठक लेकर सभी के बयान लिए थे। दोनों पक्षों को आपस में बातचीत करने का समय देकर एक सप्ताह बाद मंगलवार को बैठक को कहा था। सूत्रों ने बताया कि पीजी डॉक्टरों में आपस में सुलह नहीं हो सकी है, फैकल्टी में भी गुटबाजी बरकरार है। यह मामला उच्च स्तर तक पहुंच सकता है। प्राचार्य ने बताया कि कमेटी अध्यक्ष विभागीय कार्य से बाहर है, उनके आते ही बैठक कराएंगे। बैठक में मुद्दा हल नहीं होने पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई करेंगे। फिर से अपील है कि छात्र-छात्राएं किसी की सियासत में न आएं। अपनी पढ़ाई एवं प्रैक्टिस पर ध्यान दें। फैकल्टी की अंतिम सामूहिक बैठक बुला रहे हैं, इसके बाद सीधे कार्रवाई करेंगे।
मेडिकल कॉलेज में विभागों ने अटकाई डॉक्टरों की एसीआर
दून मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के प्रमोशन की प्रक्रिया में कई विभाग लेटलतीफी कर रहे हैं। आधे से ज्यादा विभागों ने डॉक्टरों की एसीआर प्राचार्य द्वारा मांगे जाने पर 26 दिन बाद भी नहीं भेजी है। जिससे डॉक्टरों में आक्रोश पनपा है, उन्होंने इसकी शिकायत उच्च स्तर पर भी की है। वहीं विभागों में गुटबाजी भी इसकी वजह बताई गई है। प्राचार्य ने भी इसे लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। कॉलेज के करीब 40 असिस्टेंट एवं एसोसिएट प्रोफेसरों के प्रमोशन होने हैं।मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने शासन द्वारा नई एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) मांगने पर विगत 24 अप्रैल को सभी विभागाध्यक्षों को आदेश कर 25 अप्रैल को एसोसिएट प्रोफेसरों की एसीआर मांगी थी। डॉक्टरों ने अपनी एसीआर भरकर एचओडी को भेज दी। कई अहम विभागों में एचओडी ने अपने स्तर से प्राचार्य को इसे नहीं भेजा। कई विभागों में इसे लेकर जबरदस्त आक्रोश पनपा है और विवाद की स्थिति बनी है। प्राचार्य ने कहा कि 60 फीसदी ने अभी एसीआर नहीं दी है। जिन्होंने नहीं दी, उन्हें नोटिस दिया जा रहा है। गुटबाजी नहीं करने देंगे। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। मेडिकल कॉलेज के करीब 25 असिस्टेंट प्रोफेसरों के प्रमोशन होने हैं। उनकी एसीआर काफी पहले चली गई है। प्रमोशन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। एहतियातन प्राचार्य ने सभी की नई एसीआर बनवाकर भिजवाने को निर्देशित किया। जिसका कार्य लगभग पूरा हो गया है। एसोसिएट स्तर पर ज्यादा विवाद है।
जेआर वेतन और प्रशिक्षु डॉक्टर स्टाइपेंड को तरसे
दून मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जूनियर रेजीडेंट (जेआर) वेतन और प्रशिक्षु डॉक्टर स्टाइपेंड को तरस गए हैं। उनको अप्रैल का वेतन-स्टाइपेंड अब तक नहीं मिला है।आरोप है कि दून अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज का प्रशासनिक एवं लेखा अनुभाग उनको सही जानकारी नहीं दे पा रहा है। यहां करीब 30 जूनियर रेजीडेंट और 194 एमबीबीएस प्रशिक्षु डॉक्टर हैं। जेआर को 64 हजार रुपये वेतन और प्रशिक्षु डॉक्टरों को 17500 स्टाइपेंड मिलता है। पुराने इंटर्न डॉक्टर को सिक्योरिटी राशि संग 27000 रुपये मिलने हैं। लेकिन, वे बाबुओं और अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के अनुसार, बजट न होने की वजह से दिक्कत आई है। इस मामले में शासन में समन्वय बनाकर मामला हल कर लिया गया है। उम्मीद है कि इसी सप्ताह वेतन-स्टाइपेंड खातों में आ जाएगा।

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