हरिद्वार। मनसा देवी मंदिर के पैदल मार्ग पर रविवार को मची भगदड़ से प्रशासनिक लापरवाही और अदालती आदेशों की अनदेखी भी उजागर हुई है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2014-15 में मनसा देवी और चंडी देवी मंदिरों के लिए विशेष गाइडलाइन जारी कर पैदल मार्गों को व्यवस्थित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रशासन ने इन आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया। कोर्ट ने साफ निर्देश दिए थे कि दोनों मंदिरों के पैदल मार्गों पर श्रद्धालुओं की भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेडिंग, मेडिकल सुविधा, सुरक्षा फोर्स और भीड़ प्रबंधन की ठोस योजना तैयार की जाए। लेकिन 10 साल बाद भी यह आदेश कागजों तक ही सीमित रह गए हैं। अनदेखी ने बढ़ाया हादसों का खतरा अदालत के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद प्रशासन ने न तो सीढ़ी मार्ग पर स्थाई बैरिकेडिंग की और न ही भीड़ नियंत्रण के लिए कोई विशेष फोर्स तैनात की। मेडिकल सुविधाओं का हाल यह रहा कि शनिवार को हादसे के वक्त घटनास्थल पर प्राथमिक उपचार तक का इंतजाम नहीं था। हाईकोर्ट की गाइडलाइन की अनदेखी की कीमत श्रद्धालुओं को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।