नई दिल्ली , भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21, छह दशकों तक देश के आसमान की रक्षा करने के बाद आज यानी शुक्रवार, 26 सितंबर को सेवा से रिटायर हो जाएगा। इस ऐतिहासिक विमान को विदाई देने के लिए चंडीगढ़ में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया है, जहां वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह खुद मिग-21 के ‘बादलÓ फॉर्मेशन को उड़ाकर इस गौरवशाली अध्याय का समापन करेंगे।
1963 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हुआ रूस निर्मित मिग-21 अपनी ध्वनि से तेज रफ्तार (मैक 2) और अचूक मारक क्षमता के लिए जाना जाता था। इसने कई युद्धों में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई और 2019 में पाकिस्तान के अत्याधुनिक स्न-16 विमान को मार गिराकर अपनी श्रेष्ठता साबित की थी। इसके रिटायरमेंट से वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या में अस्थायी रूप से कमी आएगी, लेकिन इसकी जगह लेने के लिए भारत का स्वदेशी ‘तेजसÓ पूरी तरह तैयार है।
वायुसेना मिग-21 की जगह धीरे-धीरे स्वदेशी तेजस विमानों को शामिल कर रही है। ‘फ्लाइंग डैगर्सÓ और ‘फ्लाइंग बुलेट्सÓ स्क्वाड्रन के बाद अब जल्द ही तेजस का तीसरा स्क्वाड्रन ‘कोबराÓ भी वायुसेना में शामिल होगा। इस स्क्वाड्रन को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राजस्थान के एक एयरबेस पर तैनात किया जाएगा, जिससे पश्चिमी मोर्चे पर वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारी और मजबूत होगी।
अगले महीने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (॥्ररु) अपने नासिक केंद्र से पहले उन्नत तेजस रूद्म1्र विमान को लॉन्च करेगा। यह तेजस का अत्याधुनिक संस्करण है, जो बेहतर रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और उन्नत लड़ाकू क्षमताओं से लैस है। तेजस रूद्म1्र विमानों के शामिल होने से न केवल वायुसेना का आधुनिकीकरण होगा, बल्कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को भी बड़ी मदद मिलेगी और विदेशी प्लेटफार्मों पर निर्भरता कम होगी।