देश-विदेश

लोकसभा चुनाव से पहले चर्चा में नैमिषारण्य; सपा के दांव के बाद अब योगी सरकार ने खोला पिटारा

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

यूपी में अयोध्या, मथुरा और काशी के साथ ऋषि मुनियों की तपोस्थली नैमिषारण्य के जरिए भी सियासमत को साधने की कोशिश की जा रही है। योगी सरकार ने जिस तरह यहां के लिए योजनाएं बनाई हैं और सुविधाओं की घोषणा की है वो समाजवादी पार्टी के ‘नैमिष दांव’ को चित कर सकती हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने नैमिषारण्य में हवन-पूजन करके अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के सियासी माहौल की शुरुआत की थी। सियासी गलियारों में माना यही जा रहा था कि समाजवादी पार्टी इस दांव को चलकर ब्राह्मण वोटों को अपने साथ जोड़ने की तैयारी कर रही है।
इस बीच राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अब योगी सरकार की ओर से खुले पिटारे से नैमिषारण्य की पूरी तस्वीर बदलने जा रही है। अब इसका असर आने वाले लोकसभा के चुनाव पर सियासी तौर पर कितना होगा, यह तो आने वाले चुनावों के नतीजों से तय होगा। फिलहाल नैमिषारण्य के हवन कुंड से निकली सियासी आंच से ऋषि मुनियों की तपोस्थली का तो कायाकल्प होने ही जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों की शुरुआत पर सियासी माहौल बनाने के लिए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की उन दो ऐतिहासिक धरती को चुना था, जहां से न सिर्फ धार्मिक बल्कि राजनीति की बड़ी धारा निकली। समाजवादी पार्टी ने शुरुआत उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले से की जो हाल के दिनों में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के चलते सबसे ज्यादा चर्चा में आया।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अखिलेश यादव ने लखीमपुर में ना सिर्फ इस सियासत की वजह से अपने लोकसभा चुनावों का आगाज किया, बल्कि इसी जिले की तहसील छोटीकाशी गोला गोकर्णनाथ के धार्मिक सियासी मायने को भी समझते हुए अपनी रणनीति चाक चौबंद की। फिर समाजवादी पार्टी ने अगले दूसरे बड़े जनसंवाद के लिए ऋषि मुनियों की तपोस्थली नैमिषारण्य का चयन किया।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त बाजपेई कहते हैं कि अखिलेश यादव के इन दोनों शहरों से सियासी आगाज की शुरुआत का सीधा मतलब भारतीय जनता पार्टी के कोर वोट बैंक ब्राह्मणों नाम पर वोटों में अपनी पैठ बनाना ही था। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यही वजह रही अखिलेश यादव ने नैमिषारण्य धाम में हवन पूजन करके लोकसभा चुनावों के सियासी सफर का आगाज करते हुए अयोध्या काशी और मथुरा की भी पूरी योजना बना डाली।
नैमिषारण्य धाम के लिए योगी सरकार ने अपना पिटारा खोल दिया है। जानकारी के मुताबिक, नैमिषारण्य में जल्द ही ललिता मंदिर कॉरिडोर बनाया जाएगा। इस कॉरिडोर के माध्यम से मंदिर में आने जाने वाले श्रद्धालुओं को आसानी से प्रवेश और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नैमिषारण्य में बनने वाले वैदिक विज्ञान केंद्र की प्रेजेंटेशन को देखते हुए इसके जल्द से जल्द निर्माण की बात कही। नैमिषारण्य में पर्यटक पुलिस की तैनाती के साथ बने हुए सीताकुंड के जीर्णोधार और यात्रियों के लिए ट्रांसपोर्टेशन की बेहतर व्यवस्था की मंजूरी देते हुए जल्द से जल्द सुविधाओं को लागू करने के लिए कहा।
नैमिषारण्य के हनुमानगढ़ी पांडव किला से ताल्लुक रखने वाले जगदीश्वर नारायण मिश्र कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस तरीके से लंबे समय से चली आ रही है, उनकी मांगों और यहां के विकास के लिए तेजी दिखाई है उससे ऋषि मुनियों की तपोस्थली का पूरी तरह उद्धार हो जाएगा। सियासत को लेकर नारायण मिश्र कहते हैं कि यहां के ऋषि मुनि और आश्रम में रहने वालों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि जो काम अब हो रहा है वह काम तो पुरानी सरकारों में भी हो सकता था लेकिन तब तक इस दिशा में किसी ने कोई ध्यान दिया ही नहीं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने जिन दो जगहों से लोकसभा चुनावों के सियासी आगाज की शुरुआत की थी, योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन दोनों जगहों पर विकास का ऐसा खाका खींचना शुरू किया कि समाजवादी पार्टी के राजनीतिक दांव को ही चित कर दिया। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त बाजपेई कहते हैं कि सपा ने छोटी काशी की धरती वाले जिला लखीमपुर खीरी और नैमिषारण्य से लोकसभा चुनावों की सियासत का आगाज किया। इन दोनों जगहों से सियासी समीकरण साधते हुए समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मणों को अपनी ओर जोड़ने का जो सियासी मिशन शुरू किया, उसी के जवाब में भाजपा सरकार ने दोनों शहरों के विकास का बड़ा खाका खींचते हुए सियासत में बड़ा दांव चल दिया।
वह कहते हैं शिव की नगरी छोटी काशी गोला गोकर्णनाथ में योगी आदित्यनाथ की पहल पर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह के भव्य कॉरिडोर बनाए जाने की शुरुआत कर दी गई है। नैमिषारण्य में डेवलपमेंट का बड़ा खाका शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खींच दिया है। बाजपेई का मानना है की सियासी दांवपेच में फिलहाल दोनों शहरों का विकास तो शुरू हो गया है। अब इसका फायदा किसको मिलेगा यह देखने वाली बात है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीते कुछ समय से जिस तरह समाजवादी पार्टी ने अपनी सियासी रणनीति बदली है, उस पर और उनकी हर योजना पर भाजपा बारीकी से नजर भी रख रही है। उर्दू अकादमी से ताल्लुक रखने वाले राजनीतिक जानकार अब्दुल मुजीब कहते हैं कि समाजवादी पार्टी दलित और मुस्लिमों के साथ इस बार ब्राम्हण वोट बैंक पर नए तरीके से सियासी दांवपेच आजमा रही है। वो मानते हैं कि यही वजह है समाजवादी पार्टी के नक्शे में नैमिषारण्य भी है अयोध्या, मथुरा और काशी तो है ही।
उनका मानना है कि भारतीय जनता पार्टी भी समाजवादी पार्टी की इस सियासी चाल को काटने के लिए दो कदम आगे चल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि समाजवादी पार्टी अपनी अगली जनसभाएं और जनता से जुड़े कार्यक्रमों के दौरान अयोध्या, काशी और मथुरा भी पहुंचने वाली है। भारतीय जनता पार्टी आगामी जनसंवाद और कार्य योजनाओं में इन शहरों को शामिल कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि आने वाले लोकसभा के चुनावों में सभी राजनीतिक दलों के लिए अयोध्या, मथुरा और काशी के साथ अब नैमिषारण्य भी राजनीतिक एजेंडे में शामिल हो गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!