नई दिल्ली, बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है. कांग्रेस ने जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है. प्रदेश अध्यक्ष बदल दिये, रैलियां निकाली जा रही हैं. रैली में राष्ट्रीय स्तर के नेता शिरकत कर रहे हैं. युवा यात्रा को मिली अच्छी प्रतिक्रिया के बाद अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 20 अप्रैल को बक्सर और पटना में दो रैलियों को संबोधित करके बिहार में चुनावी अभियान को आगे बढ़ाएंगे. इससे पहले 17 अप्रैल को इंडिया ब्लाक की बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा करेगी.एआईसीसी पदाधिकारी के अनुसार, कांग्रेस बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए आक्रामक तरीके से काम कर रही है. लेकिन, सीटों के बंटवारे को मुद्दा नहीं बनाएगी, जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा है. पासी ने कहा, यह संख्या के बारे में नहीं है, लेकिन हम निश्चित रूप से उन सीटों पर जोर देंगे जहां कांग्रेस मजबूत है. पूरा ध्यान गठबंधन को बढ़ावा देने पर है. हम सभी सीटों पर जमीन तैयार कर रहे हैं. हम आने वाले दिनों में संयुक्त अभियान की भी संभावना तलाश रहे हैं.
बता दें कि बिहार विधानसभा 2020 के चुनाव में कांग्रेस को राजद और वाम दलों के साथ गठबंधन के तहत 243 में से 70 सीटें मिली थीं. लेकिन वह केवल 19 सीटें ही जीत सकी थी. बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, चुनाव लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू सामाजिक समीकरणों को सही करना है. अति पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को लक्ष्य बनाना है, जो कुल मतदाताओं का लगभग आधा हिस्सा हैं.
पासी ने जद-यू-भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने यात्रा के दौरान युवाओं की चिंताओं को उठाने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने उन्हें निशाना बनाया. उन्होंने कहा, लोकतंत्र में विपक्ष का कर्तव्य है कि वह लोगों की आवाज उठाए. लेकिन जब हमने ऐसा करने की कोशिश की तो हमें पुलिस बल का सामना करना पड़ा. सरकार युवाओं की चिंताओं का समाधान नहीं करती है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान के अनुसार, विकास सूचकांकों के मामले में बिहार देश के राज्यों में 27वें स्थान पर है. उन्होंने कहा, हमें 1500 करोड़ रुपये की लागत से कौशल विकास विश्वविद्यालय बनाने का वादा किया गया था, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आ रहा है.
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