होलीका पूजन के बाद किया दहन, खूब उड़े गुलाल
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : आठ मार्च को रंगपर्व से पूर्व मंगलवार को होलाष्टक मनाया गया। होलिका दहन से पूर्व महिलाओं ने घरों में पूजन किया व बाद में झंडा चौक पर होलिका दहन स्थल पर पहुंच परिक्रमा की। इसके बाद शाम करीब सात बजे होलीका दहन हुआ।
मंगलवार दोपहर से झंडाचौक सहित अन्य होलिका स्थलों पर महिलाओं ने होलिका पूजन शुरू किया व शाम ढलने के साथ ही महिलाओं की तादाद बढ़ती चली गई। इससे पूर्व, महिलाओं ने घरों में होलिका पूजन किया व पूजन सामग्री को लेकर झंडाचौक पर पहुंची। इधर, शाम होते-होते क्षेत्र में दुकानें भी बंद हो गई व मुख्य चौराहों पर युवाओं ने म्यूजिक सिस्टम लगा होली खेलना शुरू कर दिया। देर शाम तक युवा होली के रंग में रंगते रहे।
यह है महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षसराज हिरण्यकाश्यपु के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। प्रह्लाद की इस भक्ति से नाखुश पिता ने उन्हें भक्ति मार्ग से हटाने को कई प्रयास किये, लेकिन असफल रहे। अंत में हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई व उन्हें अपनी बहन होलिका की गोद में बिठा आग के हवाले कर दिया। होलिका को आग से भस्म न होने का वरदान था, लेकिन भगवान विष्णु ने ऐसी लीला रची कि होलिका भस्म हो गई व भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर आ गए।
पुलिस ने कसी कमर
होली के दिन शांति व्यवस्थाएं बनी रहें इसके लिए पुलिस ने भी तैयारियां पूरी कर ली गई है। संदिग्ध इलाकों में पुलिस की विशेष टीमें तैनात की जा रही हैं। संदिग्ध व्यक्तियों पर पुलिस की विशेष नजर रहेगी। वहीं, होली को देखते हुए वार्ड व मुख्य मार्गों पर पुलिस गश्त भी बढ़ा दी गई है।