उत्तराखंड

पूजा-अर्चना के बाद की घंडियाल देवता हुई प्राण प्रतिष्ठा

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नई टिहरी। दशरथांचल पर्वत स्थित प्राचीन घण्डियाल देवता की नवनिर्मित मन्दिर में पूजा अर्चना के बाद प्राण प्रति प्रतिष्ठा की गयी। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्घालु यहां पहुंचे। देवप्रयाग तीर्थ के निकट स्थित बमाणा गांव में भरपूर गढ़ के कुल देवता घण्डियाल का प्राचीन स्थान रहा है। सजवाण जाति के लोग घण्डियाल देवता के मुख्य अर्चक माने जाते हैं। उनके द्वारा यहां जन सहयोग से पिछले वर्ष भव्य मन्दिर का निर्माण शुरू किया गया था। घण्डियाल देवता को वीर अभिमन्यु का रूप माना जाता है। परंपरानुसार यहां गर्भगृह में घण्डियाल देवता की मुख्य पिंडी सहित पंच पांडवों की पिंडिया स्थापित कर पांच दिनों के पूजन के उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गयी। पुरोहित पं़ रमेश पांडे, मणीराम, विजय पंत द्वारा पूजा सम्पन्न कराने के बाद समिति की ओर से 51 किलो का पीतल का घण्टा चढ़ाया गया। क्विली पालकोट निवासी कुलवीर सजवाण पर देवता का पश्वा अवतरित होने के बाद सभी ने आशीर्वाद लिया। विवाहित बेटियों ध्याणियों ने यहां विशेष पूजन और भजनों का गायन किया। कीर्तिनगर, भरपूर, जखोली, चन्द्रवदनी, जामणीखाल, पंचूर आदि से दर्शन पूजन को पहुंचे सैकड़ों भक्तों ने यहां पीतल की घंटिया घन्डियाल देवता को समर्पित कर सभी की सुख समृद्घि की कामना की। वहीं पांडव नृत्य व जागर में यहां देवी देवता भी भक्तों पर अवतरित हुए। विधायक देवप्रयाग विनोद कंडारी, थाना प्रभारी महिपाल रावत आदि यहां दर्शन को पहुंचे थे। समिति अध्यक्ष सूबेदार मेजर पाल सिंह सजवाण, सचिव हवलदार सते सिंह सजवाण, मोर सिंह ने सभी का यहां स्वागत किया। इस मौके प्रधान बमाणा रुचि सजवाण, गौरव सेना अध्यक्ष विजय पंवार, ड़ प्रताप सिंह बिष्ट, ओंकार पंवार, दीपक सजवाण, महिपाल सिंह सजवाण, हरीश सिंह, कैप्टन गब्बर सिंह सजवाण सहित बड़ी सख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

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