आकाशवाणी के पूर्व निदेशक नित्यानंद मैठाणी नहीं रहे
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। सुप्रसिद्ध साहित्यकार और रेडियो ब्रॉडकास्टर नित्यानंद मैठाणी नहीं रहे। 86 वर्ष की आयु में मैठाणी जी का लखनऊ में निधन हो गया है। वे आकाशवाणी में विभिन्न पदों पर काम करते हुए दूरदर्शन में निदेशक पद से 26 साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने आकाशवाणी नजीबाबाद में उत्तराखण्ड के लिए स्थापित केंद्र की पहली प्रसारण योजना तैयार की।
पार्थ सारथी थपलियाल ने नित्यानंद मैठाणी के निधन पर शोक व्यक्ति करते हुए भावभीनी श्रद्धाजंलि दी। उन्होंने बताया कि कुछ ही माह पहले उनके सुपुत्र का निधन हुआ था उसके बाद से ही वे अस्वस्थ चल रहे थे। वह श्रीनगर के रहने वाले थे। गढ़वाल में प्रचलित “कर्मकांड समुच्चय” के लेखक भास्करानंद मैठाणी उनके दादा थे। नित्यानंद मैठाणी गढ़वाली भाषा के प्रखर जानकर और उसके प्रति समर्पित व्यक्ति थे। 1977 में वे आकाशवाणी लखनऊ से आकाशवाणी नजीबाबाद स्थानान्तरित होकर आए। उन्होंने आकाशवाणी नजीबाबाद में उत्तराखण्ड के लिए स्थापित केंद्र की पहली प्रसारण योजना तैयार की। शैल संगीत, कूर्मांचल दर्शन, गढ़वाल दर्शन, ग्राम जगत, “न्यारद्वार की” जैसे कार्यक्रम उन्होंने शुरू किए। श्री थपलियाल ने बताया कि उन्होंने 1978 में आकाशवाणी नजीबाबाद में सेवा शुरू करने के बाद उन्हीं के निर्देशन में ग्राम जगत और न्यार द्वार की कार्यक्रमों में भाग लिया। मुझे काफी समय तक उन्हीं के क्वार्टर में रहने का अवसर भी मिला। उत्तराखण्ड के तमाम साहित्यकार, बुद्धिजीवी और कलाकारों को उन्होंने आकाशवाणी से जोड़ा। मैठाणी ने लंबे समय तक न्यार द्वार की नामक गढ़वली धारावाहिक लिखा और प्रस्तुत किया। उस धारावाहिक में सुर्मणि के बाबा की भूमिका वे स्वयं निभाते थे। सुर्मणि की माँ की भूमिका संगीता बड़थ्वाल और भाई की भूमिका मैं (पिरमू नाम) निभाया करता था। उन्होंने बहुत सी गढ़वाली कविताएं और उपन्यास भी लिखे। गत वर्ष ही उन्होंने बेगम अख्तर पर भी एक किताब लिखी थी। अक्सर मेरी उनसे बात हो जाया करती थी, लेकिन उनके बेटे के निधन के बाद जब भी फोन लगाया स्विच ऑफ मिला।