उत्तराखंड

राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने के लिए सभी संतों को एक मंच पर आना होगा: श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह

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हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि राष्ट्र की एकता अखंडता बनाने के लिए देश भर के सभी संतो को एक मंच पर आना होगा, तभी भारत एक सशक्त राष्ट्र और विश्व गुरु बन कर उभरेगा। कनखल स्थित अखाड़े में आयोजित संतों की बैठक को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में अदृश्य शक्तियों द्वारा धर्म पर कुठाराघात कर उसे तोड़ने की कोशिश की जा रही है। पूरे देश में संतों पर जगह-जगह हमले हो रहे हैं और इस्लामिक तत्वों द्वारा सनातन धर्म को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। संत समाज को एकजुट होकर इन ताकतों का सामना करना होगा और धर्म के संरक्षण संवर्धन के लिए आगे आना होगा। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से आज युवा पीढ़ी भली-भांति परिचित हो रही है। लेकिन सनातन धर्म के बढ़ते प्रचार-प्रसार को रोकने के लिए कुछ तथाकथित लोग एवं संगठन लगातार धर्म पर कुठाराघात कर रहे हैं। जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने देश भर के संतों से अपील करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। अपने अपने सामथ्र्य अनुसार अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर और उन्हें जागरूक कर धर्म का संरक्षण संवर्धन करना होगा। तभी देश उन्नति की ओर अग्रसर हो सकता है। निर्मल अखाड़े में शामिल हुए महंत सतनाम सिंह एवं महंत हरविंदर सिंह महाराज ने कहा कि श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज वयोवृद्ध अवस्था में भी सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की अलख संसार में जागृत कर रहे हैं। इनसे प्रेरणा लेकर युवा संतो को धर्म की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए और राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने के लिए राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल प्राचीन काल से ही धर्म एवं संस्कृति के संवर्धन में अपनी भूमिका निभाता चला आ रहा है और विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से सभी को समाज सेवा का संदेश दे रहा है। उन्होंने कहा कि देश को उन्नति की ओर अग्रसर करने में संत महापुरुषों की सदैव अहम भूमिका रही है और संत महापुरुष प्रत्येक परिस्थिति में देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इस दौरान अखाड़े में शामिल हुए महंत परमिंदर सिंह, महंत अवतार सिंह, महंत रामानंद सिंह, महंत ब्रह्म स्वरूप सिंह, महंत सुखजीत सिंह, महंत सुखप्रीत सिंह, संत महेंद्र सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर संत दर्शन सिंह शास्त्री, महंत हरदेव सिंह, महंत अंग्रेज सिंह, महंत बलवीर सिंह, संत जगमोहन सिंह, संत निर्भय सिंह, समाजसेवी देवेंद्र सिंह सोढ़ी आदि उपस्थित रहे।

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