एलोपैथी और आयुर्वेदिक डॉकटर एक बार फिर आमने सामने .

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-आईएमए ने आयुष मंत्री के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त
देहरादून। आयुष मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की ओर से आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथी दवा लिखने का अधिकार दिए जाने की घोषणा के बाद एक बार फिर एलोपैथी और आयुर्वेदिक डॉकटर आमने सामने आ गए हैं। प्राइवेट एलोपैथी डॉक्टरों की संस्था आईएमए ने आयुष मंत्री के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। आईएमए के प्रदेश महासचिव डॉ अजय खन्ना ने कहा कि आयुष मंत्री ने जानकारी के अभाव में ऐसा बयान दिया है और ऐसा संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने ऐसा करने की कोशिश की तो उसके नतीजे बहुत बुरे होंगे और एलोपैथी डॉक्टर किसी भी सूरत में इसे बर्दास्त नहीं करेंगे।
इधर,आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने आयुष मंत्री के बयान पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा और जिन स्थानों पर एलोपैथी डॉक्टर तैनात होने को राजी नहीं होते वहां आयुर्वेदिक डॉक्टर इमरजेंसी एलोपैथी दवाओं का इस्तेमाल कर मरीजों की बेहतरी के लिए कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि सीसीआईएम पहले ही आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार देने का निर्णय ले चुकी है और अब यह निर्णय आयुर्वेद चिकित्सा के विकास में अहम फैसला साबित होगा।
आयुष मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट की जानकारी नहीं होगी। इस एक्ट के सेक्शन 34 में साफ लिखा है कि एलोपैथी दवा केवल वही डॉक्टर लिख सकते हैं जो मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड होंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में पहले निर्णय दे चुका है और यह कदम सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी। यदि राज्य में ऐसा होता हैतो आईएमए इसका विरोध करेगा और किसी भी सूरत में इस तरह की मिक्सोपैथी को मंजूर नहीं किया जाएगा। – डॉ अजय खन्ना, महासचिव आईएमए, उत्तराखंड
आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथी दवा लिखने का अधिकार देना बहुत सराहनीय कदम है। इससे राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर की जा सकेगी और आम लोगों को लाभ मिलेगा। इस फैसले के बाद आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी इमरजेंसी एलोपैथी दवाएं रखी जा सकेगी। इस फैसले के लिए आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ मुख्यमंत्री व आयुष मंत्री का अभार व्यक्त करता है। -डॉ हरदेव रावत, महासचिव, आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ

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