सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली आनंद गिरि को राहत, जमानत याचिका खारिज
नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार आनंद गिरि की जमानत रद्द कर दी है। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है और कहा कि इस समय इस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील के साथ-साथ प्रतिवादी के लिए अतिरिक्त सलिसिटर जनरल की सारी दलीलें भी सुनी गई। उन्होंने कहा कि हमने याचिका के कागजात के साथ-साथ रद्द किए गए आदेश का भी दोबारा से अवलोकन किया है। पीठ ने कहा कि उन्हें कुछ समय तक सुनने के बाद हमें इस स्तर पर हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि परिस्थिति में बदलाव होता है या यदि मामले में ट्रायल कोर्ट के समक्ष उचित समय के अंदर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो याचिकाकर्ता दोबारा से निचली अदालत में जमानत के लिए याचिका दायर कर सकते हैं। यदि इस तरह का आवेदन उस स्तर पर दायर किया जाता है, तो मौजूदा कार्यवाही को कानून के अनुसार आवेदन पर विचार कर सकते हैं।
आनंद ने 9 सितंबर, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उन्होंने जमानत देने से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ता ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। उसने दावा किया था कि कथित सुसाइड नोट में आनंद गिरि के नाम का उल्लेख किया गया था, वह नरेंद्र गिरि का नहीं था और इसमें कई कटिंग और ओवरराइटिंग थी।
उन्होंने आगे कहा कि घटना के समय वह हरिद्वार में था और पुलिस ने उसे फोन पर सूचित किया। इससे पहले एक स्थानीय अदालत ने भी आनंद गिरि की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। महंत नरेंद्र गिरी 20 सितंबर 2021 को प्रयागराज के बगहामबाड़ी गड्डी मठ में पंखे से लटके मिले। एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने आनंद गिरी, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था।