आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर किसान संगठनों ने 26 मार्च को भारत बंद का किया ऐलान
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले 100 दिनों से ज्यादा समय से किसान आंदोलन जारी है। हजारों की संख्या में किसान सरकार से एमएसपी पर कानून बनाने और तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। 26 मार्च को चार महीने पूरे होने के अवसर पर किसान संगठन के नेताओं ने भारत बंद बुलाया है।
इससे पहले किसान यूनियनों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें काफी हिंसा हुई थी। बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पुलिस द्वारा तय किए गए रूटों से अलग चले गए थे। कई किसानों ने लाल किले परिसर में घुसते हुए झंडा फहरा दिया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार भी किया। हिंसा को लेकर विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ 38 मामले दर्ज किए गए।
उधर, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने आगामी 13 मार्च को कोलकाता जाने का ऐलान करते हुए कहा है कि वह किसानों से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर चर्चा करके भाजपा को पराजित करने का आह्वान करेंगे। हालांकि, वह किसी राजनैतिक दल का समर्थन नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि वह 13 मार्च को कोलकाता जाएंगे और वहीं से निर्णायक संघर्ष का बिगुल फूकेंगे। टिकैत ने आरोप लगाया कि देश के किसान भाजपा की नीतियों से त्रस्त हैं। वह पश्चिम बंगाल के किसानों से चुनाव पर चर्चा करेंगे और भाजपा को हराने का आह्वान करेंगे। साथ ही कहा कि वह किसी भी दल के पक्ष में अपील या किसी का समर्थन बिल्कुल नहीं करेंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पश्चिम बंगाल में वोट मांगने नही जा रहे हैं। यह पूटे जाने पर कि क्या वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है। इसके पूर्व, टिकैत ने किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच में पिछले कुछ महीनों में 10 से ज्यादा दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल सका है। सरकार कानूनों को डेढ़ साल तक होल्ड रखने और उसमें कई तरह के संशोधन को तैयार है, लेकिन किसान संगठन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने पर अड़े हुए हैं।