भाजपा सरकार के लिए एक और खतरे की घंटी बजी
देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा सरकार के लिए एक और खतरे की घंटी बजी है। यदि एक टीवी चैनल के सर्वेक्षण को सही माना जाए तो प्रदेश की कुल जमा 41.56 प्रतिशत जनता ही सरकार के काम काज से संतुष्ट हैं। यही रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में विपक्ष के काम काज से 49.34 प्रतिशत जनता संतुष्ट हैं। जबकि 46.08 प्रतिशत जनता सरकार के काम काज से संतुष्ट नहीं हैं। जबकि और विपक्ष के काम काज के रवैये असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा 36.01 प्रतिशत ही रह गया है। जबकि 12.37 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया। इसके उल्टे 14.66 प्रतिशत लोगों विपक्ष के काम काज पर पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया। यह सर्वेक्षण एबीपी गंगा न्यूज चैनल ने किया है। एबीपी वही चैनल है जिसके पिछले सर्वेक्षण में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के देश का सबसे अलोकप्रिय मुख्यमंत्री होने का तमगा मिला था, इसके बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने टीएसआर 1 की सीएम पद से छुट्टी कर दी थी। तदोपरांत टीएसआर 2 यानी तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन अब ताजा सर्वेक्षण के बाद फिर से यह बात साबित हो रही है कि चुनाव से सिर्फ छह महीने पूर्व प्रदेश की जनता यदि विपक्ष के काम काज की शैली से संतुष्ट है तो यह टीएसआर 2 की सरकार के लिए अच्छी बात नहीं है। दरअसल एबीपी गंगा ने एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट दो दिन पहले जारी की है। इस रिपोर्ट में विपक्ष के काम काज पर प्रदेश की जनता के मूड की थाह लेने का प्रयास किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार 14.14 प्रतिशत लोग ही सरकार के काम काज से बहुत संतुष्ट हैं, जबकि 27.42 प्रतिशत लोग सरकार या सीएम के कार्यों से संतुष्ट मिले। 46.08 प्रतिशत लोग इस रिपोर्ट में सरकार के काम काज से संतुष्ट नहीं मिले। जबकि विपक्ष के काम काज से बहुत संतुष्ट लोगों का प्रतिशत 33.07 है। जबकि विपक्ष के काम से 16.27 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं। 36.01 प्रतिशत लोग विपक्ष के काम से संतुष्ट नहीं हैं। जबकि 14.66 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल का जवाब स्पष्ट रूप से नहीं दिया। इस प्रकार बहुत संतुष्ट और संतुष्ट लोगों के आंकड़े को जोड़ दें तो यहां 49.34 प्रतिशत होजा है। यानी पचास प्रतिशत के लगभग। यह आंकड़ा ही भाजपा सरकार के लिए चुनौती है। यदि लगभग पचास फीसदी लोग विपक्ष के काम काज से संतुष्ट हैं तो साफ है कि सरकार के काम से संतुष्ट लोगों का प्रतिशत इससे कम ही होगा। अब यह प्रतिशत कितना कम होगा यह जवाब देने में असहज लोगों के आंकड़े पर निर्भर करता है। अब देखना यह होगा कि टीएसआर 2 प्रदेश की जनता के दिल जीतने के लिए सरकार के कार्यकाल के आखिरी के छह महीनों में क्या चमत्कार करते हैं।