कोटद्वार-पौड़ी

अधिक मुनाफा के लिए जैविक खेती अपनाए : अंशुमान

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : विकास भवन सभागार में शुक्रवार को कृषि विभाग व नाबार्ड के सौजन्य से कृषि अवसंरचना निधि और जैविक खेती विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कृषि वैज्ञानिक कृषि विपणन केंद्र भरसार विवि डॉ. अंशुमान सिंह ने किसानों को जैविक खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि दुनिया में कीटनाशक और रयायन फर्टिलाइजर्स के चलते तमाम स्वास्थ्य समस्याएं उभरकर सामने आती हैं, जिसको देखते हुए दुनिया जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रही है जो लोग इसमें पहले हाथ आजमायेंगे वे अधिक मुनाफा कमायेंगे, इसलिए जैविक खेती का भविष्य है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे ने कार्यशाला में जिलाधिकारी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि अवसंरचना निधि खेती-किसानी के उन्नयन, आधुनिक खेती, जैविक खेती तथा लाभपरक खेती के लिए यह अति महत्वपूर्ण है। जो भी किसान व्यक्तिगत या सामूहिक तरिके से सार्वजनिक निजि सहभागिता से छोटे स्तर पर या बड़े स्तर पर खेती करना चाहता है वह 2026 तक इस निधि के तहत 3 प्रतिशत ब्याज में शुरू तथा सब्सिडी से प्रत्यक्ष खेती व खेती से सम्बद्ध जुड़े कार्य, उद्यमिता, स्टार्टअप जैसे कार्य शुरू कर सकता है। उन्होंने कृषकों को इस निधि का लाभ उठाते हुए पहाड़ की खेती को समूह करने के लिए अधिकाधिक आवेदन करने का आग्रह किया। जिलाधिकारी ने कहा कि खेती बाड़ी में यदि कोई किसान अभिनव प्रयोग करना चाहता है और उसे शुरू करने में यदि किसी को कोई शंका हो, आर्थिक सहायता या अन्य तकनीकि व प्रशिक्षण स्तर की आवश्यकता हो तो कृषि विभाग, नाबार्ड, विभिन्न बैंक सहायता देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कृषि विभाग को निर्देशित किया कि इस निधि के अंतर्गत जनपद में अलग-अलग तरह के एक-एक उद्योग ट्रायल के तौर पर अनिवार्य रूप से प्रोत्साहित करें तथा लोगों को अधिकाधिक आवेदन करने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिये। इस मौके पर डीडीएम नाबार्ड ने कृषि अवसंरचना निधि की समुचित जानकारी देते हुए कहा कि यह निधि 2020-2021 से लेकर 2025-2026 (6 वर्ष के लिए है) तथा इसको कोविड-19 काल की अवधि में कृषि उन्नयन के लिए प्रारंभ किया गया था। इसमें राज्य के लिए कुल 585 करोड़ रूपये की धनराशि मिली है, जिसमें से पौड़ी जनपद के लिए 8.41 करोड़ रूपये जारी हुआ है। उन्होंने कहा कि इसमें कृषि से जुड़ी संस्था को अधिकतम 2 करोड़ रूपये तक का सामूहिक ऋण देने का प्रावधान है तथा बैंक गारंटी की भी आवश्यकता नहीं है। इसमें प्रोजेक्ट लागत का 10 प्रतिशत संबंधित लाभार्थी को शुरूआत में अनिवार्य लगाना होता है तथा मॉडिटोरियम अवधि (लगभग 7 वर्ष तक) तक बैंक से ब्याज में छूट मिलती हैं कृषि अवसंरचना निधि के अंतर्गत जो किसान अपनी परियोजना शुरू करना चाहते हैं वे नेशनल एग्रीकल्चर इनफ्रा फाइनेंसिंग पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करके अपने प्रोजेक्ट से संबंधित विवरण भर सकते हैं। जिस आवेदन का चयन हो जायेगा उसको संबंधित बैंक से ऋण की धनराशि जारी हो पायेगी। इस अवसर पर अपर निदेशक कृषि डॉ. परमाराम, मुख्य कृषि अधिकारी अमरेंद्र चौधरी, एआर कॉपरेटिव सुमन कुमार, लीड बैंक अधिकारी अनिल कटारिया सहित बड़ी संख्या में किसान-काश्ताकार, कृषि से जुड़े संगठन, स्वयं सहायता समूह आदि के सदस्य उपस्थित थे।

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