आपातकाल के दौरान अशोक विहार मेरा ठिकाना था: मोदी

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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि साल 1975 में जब देश में आपातकाल थोपा गया था तो उस दौर में राजधानी दिल्ली का अशोक विहार इलाका उनके रहने का स्थान हुआ करता था। प्रधानमंत्री ने राजधानी के अशोक विहार स्थित स्वाभिमान अपार्टमेंट में इन-सीटू स्लम पुनर्वास परियोजना के अंतर्गत झुग्गी झोपड़ी (जेजे) समूहों के निवासियों के लिए 1,675 नवनिर्मित फ्लैटों का उद्घाटन करने और इनकी चाबियां पात्र लाभार्थियों को सौंपने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही।
इन फ्लैटों के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री ने पूरे स्वाभिमान अपार्टमेंट का मुआयना किया और लाभार्थियों व उनके परिवार के सदस्यों से बातचीत भी की। बाद में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि अशोक विहार के लोगों को नई आशाओं और नए सपनों का घर मिला और वे सभी की खुशियों का हिस्सा बनने वहां आए हैं।उन्होंने कहा, ‘‘और आज जब यहां आया हूं तो काफी पुरानी यादें ताजा होना बहुत स्वाभाविक है। आप में से शायद कुछ लोगों को पता होगा, जब आपातकाल का समय था, देश इंदिरा गांधी के तानाशाही रवैये के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था। आपातकाल के खिलाफ एक लड़ाई चल रही थी, उस समय मेरे जैसे बहुत साथी अंडरग्राउंड आंदोलन का हिस्सा थे।” उन्होंने कहा, ‘‘और उस समय ये अशोक विहार मेरा रहने का स्थान हुआ करता था। और इसलिए आज अशोक विहार में आते ही बहुत सारी पुराने यादें ताजा होना बहुत स्वाभाविक है।”
उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान 1975 में जब आपातकाल लगाया गया तो उस समय नरेन्द्र मोदी 24 साल के थे। उस समय वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। साल 1977 में जब आपातकाल हटा तो मोदी ने अपनी पहली पुस्तक ‘संघर्ष मा गुजरात’ लिखी थी और इसमें उन्होंने आपातकाल के दौरान के अपने अनुभवों को साझा किया था। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय में 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली तीन नयी परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इनमें पूर्वी दिल्ली के सूरजमल विहार में पूर्वी परिसर, द्वारका में पश्चिमी परिसर और नजफगढ़ के रोशनपुरा में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त वीर सावरकर कॉलेज का भवन शामिल है।
अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ‘‘उच्च शिक्षा के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा भी लगातार मजबूत हो रही है। और ये मेरा सौभाग्य है मुझे भी दिल्ली विश्वविद्यालय का विद्यार्थी रहने का सौभाग्य मिला। हमारा प्रयास है कि दिल्ली के युवाओं को यहीं पर उच्च शिक्षा के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलें।” ज्ञात हो कि मोदी की डिग्री को लेकर भी कई अवसरों पर विवाद हुआ है। हालांकि, दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री ने 1978 में अपनी बैचलर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की और उन्हें 1979 में डिग्री जारी हुई।

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