श्रीनगर गढ़वाल : कल्याणेश्वर धर्मशाला में हिमालय ज्योतिष परिषद की कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस मौके पर हिमालय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य भाष्करानंद अन्थवाल ने कहा कि ज्योतिष वेदों का नेत्र है। श्री क्षेत्र श्रीनगर तथा उत्तराखंड ज्योतिष की जननी है।
यहां मुकुंद दैवज्ञ, भाष्कर मैठाणी आदि विद्वानों का अवतरण हुआ है। कहा चिकित्सा ज्योतिष (मेडिकल एस्ट्रोलॉजी) के माध्यम से हम जातक को उसे भविष्य में होने वाली बीमारी के बारे में सचेत कर सकते हैं। हमें निरंतर ज्योतिष विज्ञान के संरक्षण के शोध कार्य करना चाहिए। वर्तमान परिवेश में जनता के हितार्थ ज्योतिष को सरल तथा सुगम बनाना हिमालय ज्योतिष परिषद का उद्देश्य है। उन्होंने कहा ज्योतिष पाठ्यक्रम प्रत्येक विद्यालय में 12वीं कक्षा से प्रारंभ होना चाहिए। इससे समाज को अच्छे कर्मकांडी ज्योतिष मिलेंगे तथा युवाओं को आजीविका भी। बैठक की अध्यक्षता गंगा आरती समिति के अध्यक्ष प्रेमबल्लभ नैथानी ने की। इस मौके पर समिति के उपाध्यक्ष प्रो. रामानंद गैरोला, संगठन सचिव डा. प्रकाश चमोली, सचिव वरिष्ठ ब्यास राजेश थपलियाल, तोता राम पोखरियाल आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)