आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजनाको मंजूरी, 58 लाख से ज्यादा कर्मियों को मिलेगा लाभ
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आत्मनिर्भर भारत पैकेज तीन के तहत कोविड रिकवरी फेज में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने और नए रोजगार अवसरों को प्रोत्साहित किए जाने को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसके तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 1584 करोड़ रुपये की धनराशि और पूरी योजना अवधि 2020-2023 के लिए 22,810 करोड़ रुपये के व्यय की अनुमति दी है।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक इस योजना अवधि में करीब 58़5 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है। इसके तहत केंद्र एक अक्तूबर 2020 को या उसके बाद और 30 जून, 2021 तक शामिल सभी नए कर्मचारियों को दो वर्ष के लिए सब्सिडी देगा। जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 कर्मचारी हैं वहां केंद्र सरकार दो वर्ष के लिए 12 फीसदी कर्मचारी योगदान और 12 फीसदी नियोक्ता योगदान (दोनों) वेतन भत्तों का 24 फीसदी ईपीएफ में योगदान देगी।
जिन संगठनों में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं वहां केंद्र नए कर्मचारियों के संदर्भ में दो वर्ष के लिए ईपीएफ में केवल 12 फीसदी कर्मचारी योगदान देगा। कोई कर्मी जिसका मासिक वेतन 15 हजार रुपये से कम है और वह किसी ऐसे संस्थान में काम नहीं कर रहा था जो एक अक्तूबर 2020 से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से पंजीत था और उसके पास इस अवधि से पहले यूनिवर्सल एकाउंट नंबर या ईपीएफ खाता नहीं था तो वह इस योजना का पात्र होगा।
कोई भी ईपीएफ सदस्य जिसके पास यूनिवर्सल एकाउंट नंबर है और उसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और यदि उसने कोविड महामारी के दौरान इस वर्ष मार्च से सितंबर के बीच अपनी नौकरी छोड़ी है और उसे ईपीएफ के दायरे में आने वाले किसी रोजगार प्रदाता संस्थान में सितंबर तक रोजगार नहीं मिला है तो वह भी इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र है। सदस्यों के आधार संख्या से जुड़े खाते में ईपीएफओ इलेक्ट्रनिक तरीके से इस योगदान का भुगतान करेगा।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस योजना के लिए ईपीएफओ एक सफ्टवेयर विकसित करेगा और एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। बयान के अनुसार ईपीएफओ योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त तरीका अपनाएगा कि एबीआरवाई और ईपीएफओ की ओर से लागू की गई किसी अन्य योजना के लाभ आपस में परस्पर व्याप्त (ओवरलैपिंग) नहीं हुए हों।