अस्ट्रेलिया उच्चायुक्त ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर डा़निशंक से की वार्ता
हरिद्वार। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा़रमेश पोखरियाल निशंक ने देहरादून में अस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी फैरल से मुलाकात की। उच्चायुक्त बैरी फैरेल ने गुणात्मक और नवाचार युक्त नीति एनईपी-2020 की सराहना करते हुए आशा प्रकट की कि नई शिक्षा नीति भारत और अस्ट्रेलिया के बीच शैक्षिक सहयोग बढ़ाने में मदद्गार साबित होगी। उच्चायुक्त ने दोनों देशों द्वारा एक दूसरे देशों की उपाधियों (डिग्री) को मान्यता देने की दिशा में डा़निशंक की भूमिका और योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने डा़निशंक द्वारा कोविड संकट के दौरान आनलाइन शिक्षा के माध्यम से करोड़ो विद्यार्थियों को सफलता पूर्वक जोड़ने के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। फेरल ने कहा कि शिक्षा मंत्री रहते हुए, ज्ञान स्पार्क योजना के माध्यम से ड़निशंक ने भारत अस्ट्रेलिया शैक्षिक सहयोग को नए आयाम दिए हैं। अस्ट्रेलिया के भारत उच्चायुक्त ने उत्तराखण्ड और अस्ट्रेलिया के विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने पर बल दिया। डा़निशंक ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि नई शिक्षा नीति की अस्ट्रेलिया सहित पूरे विश्व मे सराहना हो रही है। उन्होंने अस्ट्रेलिया को उत्तराखंड में पर्यावरण, जैव प्रौद्योगिकी, पर्यटन, मेडिकल टूरिज्म, आयुर्वेद उत्पाद एवं फार्मा के क्षेत्र मे सहयोग और निवेश करने का न्यौता दिया। डा़निशंक ने कहा कि उत्तराखंड विश्व में योग, आयुर्वेद और अध्यात्म की राजधानी है। हमें इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है। डा़निशंक ने जैव विविधता, मौसम परिवर्तन, जड़ी बूटी, पशु पालन के क्षेत्र में संयुक्त शोध प्रोजेक्ट करने पर भी जोर दिया। अस्ट्रेलिया द्वारा कौशल विकास के क्षेत्र में उत्ष्ट कार्य किये जाने के लिए भी डा़निशंक ने सराहना की। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि अस्ट्रेलिया ऐसी प्रौद्योगिकी, ऐसे कौशल का विकास करने में मदद करेगा जो हिमालय की संवेदनशीलता के अनुकूल हो।
इस अवसर पर डा़निशंक को अस्ट्रेलिया आने का निमंत्रण भी दिया गया। अस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने कहा कि उत्तराखंड के पास जनशक्ति है और अस्ट्रेलिया के पास तकनीक, जिसका साथ मिलकर उपयोग किया जा सकता है। राजनीति में ऐसे व्यक्तित्व कम हैं जिन्होंने साहित्य के साथ शांति सद्भाव फैलाने का कार्य किया है।