आजमगढ़ उपचुनाव: तीन महीने में एक लाख की लीड हार में बदली, सपा को बसपा ने दी चोट?
आजमगढ़, एजेंसी। समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ में तीन महीने पहले ही हुए विधानसभा चुनाव में अपना जलवा बिखेरा था। यूपी में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद भी आजमगढ़ की सभी दस विधानसभा सीटें सपा गठबंधन ने जीत ली थी। इन सीटों में पांच सीटें आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। इन सीटों पर सपा को करीब एक लाख वोटों की बढ़त मिली थी। तीन महीने में ही यह बढ़त खत्म हो गई और भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को करीब 8000 वोटों से हरा दिया है।
बसपा के गुड्डू जमाली को भी सपा की हार के लिए बड़ी वजह माना जा रहा है। बड़ी तादाद में मुस्लिम वोट उधर जाने से यादव और मुसलमान बाहुल्य सीट पर सपा का एमवाई समीकरण ध्वस्त हो गया। जहां भाजपा के निरहुआ और सपा के धर्मेंद्र यादव ने तीन लाख से ज्यादा वोट हासिल किए वहीं बसपा के गुड्डू जमाली ने ढाई लाख से ज्यादा वोट झटक लिये।
आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेंहनगर आती हैं। सभी सीटों पर सपा ने भाजपा पर बढ़त बनाते हुए जीत हासिल की थी। सबसे ज्यादा बढ़त मुबारकपुर सीट पर 29103 वोटों की मिली थी। पांचों सीटों पर 106110 वोटों की बढ़त सपा को मिली थी। इससे पहले 2019 के आम चुनाव में भी सपा को भारी जीत मिली थी। तब सपा के अखिलेश यादव ने भाजपा के निरहुआ को 259874 वोटों से हराया था। उपचुनाव में अखिलेश ने अपने भाई धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया। धर्मेंद्र अखिलेश की जीत बरकरार नहीं रख पाए और चुनाव हार गए।
यहां यादव और मुस्लिम वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। दलित और कुर्मी वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में हैं। आमतौर पर यादव वोटर्स सपा के साथ जाते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी स्थानीय स्तर पर निरहुआ जनता के बीच रहकर काम करते रहे थे। इसका फायदा उन्हें मिला और सपा के कोर वोटर्स भी भाजपा में शिफ्ट हो गए। वहीं, मुस्लिम वोट शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली और सपा के धर्मेंद्र यादव में बंट गए।
आजम खां और अखिलेश यादव के बीच मतभेद की खबरें खूब सामने आईं। इसके चलते दोनों के समर्थक भी कई बार खुलकर एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए दिखे। विधानसभा चुनाव के बाद आजम खां के समर्थकों ने आरोप लगाया कि यादव वोटर्स ने सपा को वोट ही नहीं दिया। वहीं, बुलडोजर व अन्य मामलों में मुस्लिमों का साथ न देने का भी आरोप सपा पर लगा। कहा जाता है कि इसके चलते मुस्लिमों का सपा से मोह भंग हुआ। आजमगढ़ में मुस्लिमों ने बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली पर ज्यादा भरोसा जताया। इसके चलते मुस्लिम वोट बंट गए। वहीं, निरहुआ पर यादव के साथ-साथ दलित और कुर्मी वोटर्स ने भी विश्वास जताया।