बहराइच , उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले को दहला देने वाले महाराजगंज हिंसा और रामगोपाल मिश्रा हत्याकांड में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने मामले के मुख्य आरोपी सरफराज को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है, जबकि इस जघन्य अपराध में शामिल अन्य 9 दोषियों को उम्रकैद की सजा मुकर्रर की है। इस फैसले के मद्देनजर पूरे कोर्ट परिसर और जिले के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और पूरा इलाका छावनी में तब्दील नजर आया।
यह मामला पिछले साल 13 अक्टूबर 2024 का है, जब हरदी थाना क्षेत्र के महाराजगंज में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। इसी उपद्रव के दौरान रेहुवा मंसूर गांव के रहने वाले युवक रामगोपाल मिश्रा की निर्मम तरीके से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद इलाके में करीब एक सप्ताह तक तनाव और बवाल जारी रहा था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अब्दुल हमीद सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था। तत्कालीन थानाध्यक्ष कमल शंकर चतुर्वेदी ने विवेचना पूरी कर 11 जनवरी 2025 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
एडीजीसी क्रिमिनल प्रमोद कुमार सिंह के अनुसार, अभियोजन पक्ष की प्रभावी और तेज पैरवी के चलते कोर्ट में 4 मार्च से साक्ष्यों और गवाही का दौर शुरू हुआ, जो 26 नवंबर को पूरा हो गया। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तेजी से सुनवाई की और मंगलवार को 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि तीन अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। आज सजा के ऐलान के साथ ही इस हाई-प्रोफाइल केस में पीड़ित परिवार को न्याय मिल गया है।
फैसले के दिन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। कोर्ट परिसर के अलावा महाराजगंज और आसपास के क्षेत्रों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। गौरतलब है कि इस हिंसा के बाद पुलिस प्रशासन में बड़ा फेरबदल देखने को मिला था। तत्कालीन सीओ महसी, एएसपी ग्रामीण और बाद में एसपी वृंदा शुक्ला का भी तबादला कर दिया गया था। हिंसा के दौरान हरदी और रामगांव थाने में कुल 12 मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती आरोपियों की गिरफ्तारी और क्षेत्र में शांति बहाली थी।