बलिराज पूजन कर भक्तों ने जलाये एक हजार दीये
रुद्रप्रयाग। अगस्त्य मंदिर में बलिराज पूजन कर भक्तों ने एक हजार दीये जलाए। मंदिर में भक्तों के सहयोग से लगभग छह घंटे चली पूजा-अर्चना व आरती के बाद सुख समृद्धि की कामना की गई। हालांकि इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण भक्तों की भीड़ में कमी देखी गई। फिर भी कई भक्त बलिराज पूजन के साक्षी बने। केदारखंड में केवल महर्षि अगस्त्य के मंदिर में ही भगवान विष्णु के वामन रूप की विधिवत पूजा की जाती है। यह सामूहिक रूप में दीपावली मनाने का अद्भुत नजारा होता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस अवसर पर मंदिर के प्रांगण में पुजारी ने भक्तों के साथ विष्णु भगवान को मध्यस्थ रखकर चावल और धान से राजा बलि, भगवान विष्णु के वामन स्वरूप एवं गुरु शुक्राचार्य की अनुकृतियां बनाई, जिसे 365 दीयों से सजाया। इन दीपकों को भक्तजन अपने घरों से लाए। सायंकालीन आरती के साथ दीपोत्सव का प्रारंभ हुआ। आरती के समापन के बाद भक्तजन ने भगवान का आशीर्वाद लिया तथा अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। महर्षि अगस्त्य मंदिर के मठाधीश अनुसूया प्रसाद बेंजवाल, योगेश बेंजवाल एवं महेंद्र प्रसाद भट्ट आदि ने बताया कि बलिराज पूजन की यह प्रथा यहां सदियों से चली आ रही है। पहले सौड़ी, बनियाड़ी, धान्यू एवं निकटवर्ती गांवों से ग्रामीण मंदिर परिसर में भैलो खेलने आते थे और सामूहिक रूप से दीपावली मनाते थे, लेकिन धीरे धीरे यह परंपरा विलुप्त हो गई है।