17 दवा उद्योगों में उत्पादन पर रोक, दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता करने वालों पर बड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली, एजेंसी। दवा निर्माण में गुणवत्ता को ताक पर रखने वाले हिमाचल के 17 दवा उद्योगों पर राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इनमें दवा उत्पादन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। जिन दवा उद्योगों पर कार्रवाई की गई है, उनमें से ज्यादातर में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए दवाएं बनाई जाती हैं। इसके अलावा निर्धारित मानदंडों का पालन करने में विफल रही सात दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं पर भी प्राधिकरण ने शिकंजा कसते हुए परीक्षण बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। बता दें की राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने रिस्क बेस्ड निरीक्षण के दौरान बीबीएन, सिरमौर व कांगड़ा के दवा उद्योगों में कई अनियमितताएं पाई हैं। इनमें वे उद्योग भी शामिल हैं, जिनमें निर्मित दवाएं सीडीएससीओ की पड़ताल में बार-बार सबस्टैंडर्ड निकल रही हंै।
यहां उल्लेखनीय है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) व राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण द्वारा चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों का तीसरे चरण का रिस्क बेस्ड इंस्पेकशन किया गया है। तीसरे चरण में बीबीएन, सिरमौर, ऊना व कांगड़ा में 30 से ज्यादा दवा निर्माण इकाइयों का निरीक्षण किया जा चुका है, जिनमें से 17 दवा उद्योगों में दवा निर्माण से जुड़ी कई अनियमितताएं पकड़ में आने के बाद राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने तत्काल प्रभाव से उत्पादन पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए है। इनमें 11 उद्योग बीबीएन क्षेत्र के हैं, जबकि पांच सिरमौर जिला व एक कांगड़ा जिला का है। आने वाले समय में और उद्योग भी कार्रवाई की चपेट में आ सकते हैं।
राज्य दवा नियामक ने पहली बार राज्य की 12 प्राइवेट ड्रग टेस्टिंग लैब का निरीक्षण भी किया है। उनमें से सात को निर्धारित मानदंडों को पूरा करने में विफल रहने पर तत्काल प्रभाव से टेस्टिंग रोकने के आदेश दिए गए हैं। ये प्रयोगशालाएं बाजार में आने से पहले दवा के बैचों का परीक्षण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
दवा निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकरण ने तीन चरणों में 74 दवा फर्मों का निरीक्षण किया है। दिसंबर 2022 से शुरू हुए रिस्क बेस्ड निरीक्षण में ताजा कार्रवाई के बाद विनिर्माण बंद करने वाली फर्मों की तादाद 39 हो चुकी है। इनमें से दस कंपनियों ने खामियां दूर की हैं, जबकि कम से कम 29 कंपनियों ने अभी कमियों को दूर नहीं किया है और वे बंद हैं। इनमें से कुछ तो मई के बाद से बंद हैं। यह एक चौंकाने वाली संख्या थी, क्योंकि यह गंभीर खामियों को दर्शाता है।