बैंक ने सात साल बाद भेजा चेक, जमा करने से किया मना
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : पौड़ी एसबीआई ग्राहकों को अपने ही बैंकर्स चैक को सात साल बाद भेज रहा है। बैंक की कार्यप्रणाली से ग्राहकों में रोष है। ललित चिटकारिया ने बताया कि जब उन्होंने इस चैक को अपने खाते में डालने के लिए लगाया तो बैंक ने इसे पुराना बताते हुए जमा करने से मना कर दिया। क्योंकि चैक केवल तीन महीने के लिए ही वैध होता है और इसी अवधि में इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
पौड़ी के व्यापारी ललित चिटकारिया ने वर्ष 2016 में अपना एसबीआई का खाता बंद करवाया था। इसके बाद खाते में बची राशि 96 रुपए को बैंक ने वापस करना था। बैंक ने खाता बंद करते हुए 7 जून 2016 को ललित चिटकारिया के नाम से 96 रुपए का बैंकर्स चैक काट तो दिया लेकिन उसे भेजना भूल गया। अब बैंक बीती 24 अप्रैल को उनका पुराना ही चेक उनके पते पर स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेज दिया। बैंक के प्रबंधक एस पाल ने बताया कि चैक पहले ही बन गया होगा लेकिन उसे लेने कोई बैंक नहीं आया होगा। जिस पर पुराना ही चैक खातेधारक को भेजा गया। बैंक ऐसे चैकों को सुधार देता है और खातधारक चाहे तो उसे कैस भी करवा सकता है।
आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण तकनीकी ज्ञान की पुस्तके हिंदी भाषा में मौजूद नहीं
श्रीनगर गढ़वाल : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) श्रीनगर के राजभाषा अनुभाग एवं संकाय कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके परे वक्ताओं ने तकनीकी शिक्षा में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं राजभाषा के रूप में सरकारी कामकाज में इसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए संकाय सदस्यों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं छात्रों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि एनआईटी निदेशक डॉ. ललित कुमार अवस्थी ने कहा कि भाषाई विविधता के बीच हिंदी भाषा, देश में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में सबसे अधिक प्रचलित और बोली जाने वाली भाषा है। इसीलिए 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजकीय भाषा के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि किसी देश की प्रगति में उसकी भाषा और संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्रो. अवस्थी ने कहा कि हिंदी भाषा में तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई में जो सबसे बड़ी बाधा है वह यह है कि आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण तकनीकी ज्ञान की पुस्तके हिंदी भाषा में मौजूद नहीं है। शिक्षा मंत्रालय राजभाषा प्रकोष्ठ के जगदीश राम पौरी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने वर्ष 2023 के अंत तक सभी हिंदी भाषी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, बिहार आदि में शत प्रतिशत प्रशासनिक पत्राचार हिंदी माध्यम में करने का लक्ष्य रखा है। संचालन कुलसचिव डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी ने ने किया। (एजेंसी)