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बंगाल उपचुनाव: तारीखों का एलान नहीं होने पर हाईकोर्ट पहुंची राज्य सरकार, ममता बनर्जी की कुर्सी पर है खतरा

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कोलकाता , एजेंसी। पश्चिम बंगाल की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। चुनाव आयोग ने अब तक इनका चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया है। इसके खिलाफ राज्य की तृणमूल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट की शरण ली है। तृणमूल कांग्रेस की मुसीबत यह है कि छह माह की तय अवधि में यदि सीएम ममता बनर्जी चुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य नहीं बनीं तो उन्हें कुर्सी छोड़ना पड़ सकती है।
याचिका में हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह चुनाव आयोग, केंद्रीय गृह मंत्रालय व राज्य चुनाव आयोग को छह माह की तय समय सीमा में उपचुनाव कराने का आदेश दे। बंगाल सरकार के वकील राम प्रसाद सरकार ने बताया कि सीएम ममता बनर्जी ने पांच मई को शपथ ली थी। मेरा मुख्य न्यायाधीश से आग्रह है कि वे आयोग व अन्य संबंधित विभागों को चुनाव तारीख की घोषणा तत्काल करने का आदेश दें।
वकील राम प्रसाद सरकार ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 150 व 151 में कहा गया है कि चुनाव या उपचुनाव छह माह में हो जाना चाहिए। हमारी चिंता यह है कि चुनाव आयोग राज्य में उपचुनावों की तारीखों के एलान में देरी क्यों कर रहा है? इसलिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
ममता बनर्जी को सीएम बने छह माह पांच नवंबर को पूरे हो जाएंगे। कानूनी तौर पर उन्हें इससे पहले चुनाव जीतकर विधानसभा की सदस्यता लेना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ सकता है। इसी चिंता को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी चुनाव आयोग में बार बार प्रतिनिधि मंडल भेजकर जल्दी उपचुनाव कराने के लिए दबाव डाल रही है।
उधर, टीएमसी नेता तापस रय ने कहा है कि कोविड-19 के दौरान आम चुनाव कराए गए। संविधान के मुताबिक उप चुनाव छह माह में कराए जाना चाहिए। चुनाव आयोग बना ही चुनाव कराने के लिए है। बंगाल की सातों उपचुनाव वाली सीटों पर चुनाव तत्काल कराए जाना चाहिए।

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