भारत बंद का ऐलान, 25 करोड़ कर्मचारी हड़ताल पर, बैंक-डाकघर में काम रहेगा बंद

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नई दिल्ली , 8 जुलाई को देशभर में ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। बुधवार को देश भर में 25 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों के देशव्यापी हड़ताल या भारत बंद में भाग लेने की उम्मीद है। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के गठबंधन द्वारा बुलाई गई हड़ताल का उद्देश्य केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों का विरोध करना है।

हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाओं, कोयला खनन, परिवहन और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों सहित प्रमुख क्षेत्रों के बाधित होने की संभावना है। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा, बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, कारखाने और राज्य परिवहन सेवाएं प्रभावित होंगी। देशभर में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद में भाग ले रहे हैं, जो मजदूर विरोधी और किसान विरोधी मानी जाने वाली सरकारी नीतियों का विरोध कर रहे हैं। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि हड़ताल के चलते बैंकिंग, पोस्टल सर्विस, कोयला खनन, फैक्ट्रियां और स्टेट ट्रांसपोर्ट सर्विस पर असर पड़ेगा।
सरकार की नीतियों पर सवाल
भारत बंद कर रहे संगठनों ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17-सूत्रीय मांगों का एक चार्टर सौंपा था। इनका कहना है कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं कर रही है। यह मजदूरों-कर्मचारियों के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है। मजदूर संगठनों के मंच ने यह आरोप भी लगाया कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है, जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, मजदूरी में गिरावट आ रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य एवं बुनियादी नागरिक सुविधाओं में सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती हो रही है। ये सभी गरीबों, निम्न आय वर्ग के लोगों के साथ मध्यम वर्ग के लिए और अधिक असमानता और अभाव पैदा कर रहे हैं। यह भी आरोप लगाया कि सरकारी विभागों में युवाओं को नियमित नियुक्तियां देने के बजाय रिटायर्ड लोगों को ही काम पर रखने की नीति देश को आगे नहीं ले जाएगी। वजह, 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम आयु की है। वहीं, बेरोजगारों की संख्या 20 से 25 साल के आयु वर्ग के लोगों में सबसे अधिक है। बयान में कहा गया है कि हम सरकार से बेरोजगारी पर ध्यान देने, स्वीकृत पदों पर भर्ती करने, अधिक नौकरियों के सृजन, मनरेगा श्रमिकों के कार्य दिवसों एवं मजदूरी में बढ़ोतरी के साथ शहरी क्षेत्रों के लिए भी समान कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ईएलआई (रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना लागू करने में व्यस्त है।

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