भवसागर की वैतरणी है श्रीमद्भावगत कथा-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। जो श्रद्घालु भक्त श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कर लेते हैं। उनका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। भूपतवाला स्थित श्री स्वामीनारायण आश्रम में बाघ परिवार गुजरात द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दिन श्रद्घालु भक्तों को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। देवभूमि उत्तराखंड और हरिद्वार की पावन धरा पर कथा श्रवण से सहस्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से सोया हुआ ज्ञान व वैराग्य जागृत हो जाता है और व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पापों का शमन कथा श्रवण मात्र से ही हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। महंत गोविंद दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा तो अनवरत रूप से चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान है। किंतु प्रस्तुति मन को स्वनदित करती है। कथा व्यास आचार्य महादेव शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भाँति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। महंत आनंद स्वरूप दास शास्त्री महाराज ने कथा में पधारे सभी संत महापुरुषों का शल ओढ़ाकर और फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान यजमान श्रीनाथ भाई बाघ, मीका भाई बाघ, महंत निर्मल दास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत रामदास, महंत अमित दास, समाजसेवी ओमकार जैन, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेशदास आदि उपस्थित रहे।