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भव्य रूप से निकली श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की पेशवाई

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-सभी 13अखाड़ों ने किया पेशवाई का स्वागत
-कुंभ मेले श्रद्धालुओं को सत्य मार्ग की प्रेरणा देती हैं सनातन धर्म की परंपराएं : श्रीमहंत नरेद्र गिरी
हरिद्वार। बैण्ड बाजों, हाथी, घोड़ो व ऊंटों से सुसज्जित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भव्य पेशवाई भूपतवाला से चलकर हरकी पैड़ी, अपर रोड़, वाल्मिीकि चौक, शिवमूर्ति, तुलसी चौक, शंकराचार्य चौक होते हुए कनखल स्थित अखाड़े की छावनी पहुंची। पेशवाई का कई स्थानों पर विभिन्न सामाजिक संगठनों व स्थानीय लोगों द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। पेशवाई पर हेलीकॉप्टर से भी पुष्पवर्षा की गयी। पेशवाई का स्वागत करने पहुंचे अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने अखाड़े के संतों को फूलमाला पहनाकर शुभकामनाएं दी। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि कोरोना काल में कुंभ मेले का भव्य आयोजन पूरे विश्व को सकारात्मक आध्यात्मिक संदेश प्रदान करेगा। कुंभ की आलोकिक छटा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है। संतों का जप तप व सनातन धर्म की परंपराएं कुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि पतित पावनी मां गंगा के आशीर्वाद से कुंभ मेला भव्य रूप से संपन्न होगा। योग गुरू बाबा रामदेव ने पेशवाई में शामिल संतों का स्वागत करते हुए कहा कि सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवद्र्धन में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का विशेष योगदान है। संत परंपरा में विशेष स्थान रखने वाले श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की पेशवाई श्रद्धालुओं को आध्यत्मिक प्रेरणा देगी। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वरदास महाराज ने कहा कि पेशवाई के रूप में अखाड़े के संत छावनी प्रवेश करेंगे तथा छावनी में धर्मध्वजा के नीचे सभी धार्मिक कार्य संपन्न होंगे। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का शिखर उत्सव है। कुंभ मेले के दौरान देश भर से आने वाले संत महापुरूषों का गंगा तट पर होने वाला विशाल संत समागम पूरी दुनिया को विशेष धार्मिक संदेश प्रदान करता है। कुंभ मेले के दौरान संत महापुरूषों द्वारा किए जाने वाले विशेष अनुष्ठानों से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कुंभ मेले में संत महापुरूषों के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालु भक्तों का कल्याण हो जाता है। काष्र्णि पीठाधीश्वर स्वामी गुरू शरणानंद व मुखिया महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला श्रद्धालुओं को देश भर से गंगा तटों पर एकत्र होने वाले सिद्ध संत महापुरूषों के दर्शन व आशीर्वाद का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि परोपकार के लिए जीने वाले संत महापुरूष अपने अनुष्ठानों के जरिए मानव कल्याण की कामना करते हैं। महंत निर्मलदास महाराज ने कहा कि भारतीय पंरपरांओं में कुंभ मेले का विशेष महत्व है। आद्य गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित तेरह अखाड़े कुंभ का विशेष आकर्षण होते हैं। उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश से जिन चार स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरी थी। उन चार स्थानों पर अनादि काल से कुंभ मेले का आयोजन होता है। हरिद्वार में प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल पर होने वाला कुंभ पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस दौरान कोठारी महंत दामोदर दास, महंत निरंजन दास, महंत दर्शन दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत रामशरण दास, महंत प्रेमदास, महंत व्यास मुनि आदि संत शामिल रहे।
पेशवाई का जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत दुर्गादास, बाबा हठयोगी, स्वामी विष्णुदास, निरंजनी अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, श्रीमहंत राजेंद्र दास, श्रीमहंत धर्मदास, श्रीमहंत रामकिशन दास, महंत गौरीशंकर दास, म.म.स्वामी सांवरिया बाबा, महंत रामशरण दास, महंत रविन्द्र पुरी, मुखिया महंत भगतराम, निर्मल अखाड़े के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, म.म.स्वामी कपिल मुनि, महंत रूपेंद्र प्रकाश सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

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