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भेल श्रमिक यूनियन ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

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हरिद्वार। भेल श्रमिक संघर्ष यूनियन के बैनर तले भेल कर्मचारियों ने सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेशिकरण श्रम कानूनों में किए जा रहे संशोधन के खिलाफ रोष जताया। सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल को सौंपा। यूनियन के महामंत्री प्रशांत गुप्ता ने कहा कि सरकार की ओर से बजट में सरकारी व सार्वजनिक उपक्रमों बीपीसीएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन, कंटेनर कॉर्पोरेशन, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड, बैंक, सामान्य बीमा कंपनी के साथ अन्य कंपनियों के विनिवेशीकरण से आगामी वित्तीय वर्षों में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की गई। इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की सीमा 49 से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गई। सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों की सम्पतियों का मोनेटाइजेशन कर कई हजार करोड़ रुपये एकत्र किए जाने की घोषणा की गई। कहा कि भारत सरकार की इन कार्रवाईयों से सभी बीएचईएल कर्मचारियों में भी अपने संस्थान के भविष्य व स्वयं के रोजगार को लेकर भय व्याप्त है। भारत सरकार के उक्त निर्णयों का विरोध करते हैं। चूंकि भारत सरकार के इस प्रकार के निर्णयों से देश के संगठित क्षेत्र के वर्तमान कर्मचारियों में अपने रोजगार को लेकर भारी असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती जा रही है। कहा कि सरकारी, सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेशिकरण व निजीकरण न कर उन्हें सशक्त किया जाए। भारत सरकार की ओर से लाए जा रहे 04 नवीन लेबर कोड को रद्द किया जाए। प्रदर्शन करने वालों में जसविंदर सिंह, अमरजीत जाँगड़ा, संजीव बाली, दीपक कुमार प्रजापति, विवेक सक्सेना, चित्रप्रकाश, मुनेश उपाध्याय, गुलजार, रवि दुबे, शिव कुमार बक्शी आदि उपस्थित रहे।

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