1951 में नयार में आई बाढ़ के दौरान काल के ग्रास बने चालक- परिचालकों को भूली जीएमओ
जयन्त प्रतिनिधि।
सतपुली। 1951 में नयार में आई बाढ़ को आज 70 वर्ष हो चुके हैं। गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओ) के द्वारा इस त्रासदी में मारे गए चालक-परिचालकों को भुला दिया गया है, न तो स्मारक में रंग रोगन किया गया और न ही उनकी याद में श्रद्धांजलि दी गई। जीएमओयू त्रासदी में मारे गए चालक-परिचालकों को पूरी तरह से भूल चुकी है ।
1951 को सतपुली की नयार नदी में आई अचानक भयंकर बाढ़ के कारण गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड के चालक-परिचालक और बसें नयार नदी के रौद्र रूप की भेंट चढ़ गए, जिसकी याद में जीएमओ के द्वारा निकट बिजली विभाग आफिस के पास एक स्मारक बनाया गया लेकिन लगता है कि खुद जीएमओ ही इस बात को भूल चुकी है। 14 सितम्बर 1951 में सतपुली में त्रासदी पर बने गीत द्वि हजार आठ भादों मास, सतपुली मोटर बगीन खास, औडर ऐ गे कि जांच हवेली पुर्जा देखणक इंजन खोली यह पंक्तियां नयार नदी के कहर को बयां करते हुए लिखी गयी थी जो आज भी लोगों की जुबान पर बसा है। उस समय सतपुली में मात्र दो चार दुकाने ही हुआ करती थी और बसें और चालक-परिचालक सभी नदी किनारे ही रुक कर रात बिताते थे। त्रासदी की रात अचानक नदी में आई भयंकर बाढ़ के कारण 31 बसों के साथ ही बस में आराम कर रहे 30 चालक-परिचालक नदी के रौद्र रूप का शिकार हो गए। वहीं दूसरी और त्रासदी में मारे गए चालक-परिचालकों को कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा स्मारक स्थल में पहुंच कर फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धाजंलि देने वालों में रणधीर सिंह बिष्ट, सुरजन रौंतेला नगर अध्यक्ष कांग्रेस, जयदीप नेगी, अंजू बिष्ट, मान सिंह, विकास रावत, सर्वेंद्र सिंह, पूरण जैरवान सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।